पृष्ठ:चंदायन.djvu/२४३

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२३४ परायँ देखि, सके न कोउ छुड़ाइ।६ सँवर जात विसरिंगा, चरँभा सीस डुलाइ ॥७ २७० (रोलैण्ड्म २१४ : पंजाब []) आमदने लरफ नजदीके दुतरखाना व माटम यदंने सल्क पिते जग (लोरका मन्दिरके निकट आकर लोगोंसे युद्धको जानकारी प्राप्त करना) फॅवर तरायीं सूरज आवा । देस लोग मिल आगें धापा ॥१ जिन बैठे सो चेगि बुलावहि । करम हमार इहें चल आवहि ॥२ चाँदा मैना के अस कही । अवलहि अइस न काहसो भई॥३ सुनहि न बोल को करहिं मनावा । तम न कोउजो आइ छुड़ावा ॥४ जो रे दुहुँ मँह एक मर जाई । हत्या लागी देस बुराई ॥५ कँवर तरायी सूरज, दुहुँ पनि छुड़ाबहु । लाग जान कै हत्या, उजरत देम वसाबहु ॥७ पाठान्तर-~-पजाय प्रति- शीर्षक नष्ट हो गया है। १-आवा । २-त । ३--चाँदहि मैनहि होइ के कही। ४-याहूँ। ५~-मुनहि न बोल न ऐहुँ मनावा । ६-तस न कोउ जो परस छुटावा । ७-जाउ मह मह ऐको मर जादह । ८-हला लागी देस दुरादह । -दुई मह पैस छुडाविह] । १० जइ। २७१ (रीलैट्म २.५: दम्बई २५) आदती कदने लोस मियाने चाँदा व मैना (लोररुमा चाँद मैनाने मुलह कराना) मरे सौध के दोऊ नारी । भीमर भोरी जोगन पारी ॥१ के सैंडवान' दोउ पियाई । कोह पर जरत छिड़क चुदाई ॥२ पास खिरौरे पान सियाई । एक सँडछाप आन पहिराई ॥३