पृष्ठ:चंदायन.djvu/२४४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
२३५
 

२३५ यह गियान तुम्ह चॉद नबुझउँ। मैंनॉ सह को झूजहि इझ ॥४ ओछ बात सुन चाँद न कीजई । ऊतर देइ[जनि ] ऊतर लीजै ॥५ सिराजदीन सुनउ कव-छन्द, दाउद कही सॅवार ६ मरे सौध के दोउ नारी, लाड धरी अॅकबार ॥७ पाठान्तरबम्बई प्रति- शीर्षक-रिहा कर्दने अमीरे मसूद व पग व सामान दादन मैंना व मना पर्दन चॉदा (अमीर मसूदको रिहा वरना और मैनाको डाईका मामान देना और चाँदाको परजना)। इस शीर्षवका विषयसे कोई सम्बन्ध नहीं है। १--मीर मसूद क । २--सडवानी । ३-~जरें। ४-बसूरै । ५- बृझी। ६-मैंना स्योको जूझन जूझी । ७--धीज! ८-अन । ९-न लीजा | १०--मीर मसूद क । टिप्पणी-(१) सौध-र्या । (३) खिरोरे-(स०-सदिर वटक> सइर घडअ> राइर हर>खिगरा) वस्था । खण्डछाप-छपा हुला रेशमी वस्त्र । २७२ (रोटेण्ड्स २१६) बाज गुजस्तने चाँदा बुतसाना सूर्य सानये खुद (चदिका मन्दिरसे घर लौटना) चाँद सिघासन मॅदिर चलाया । देव मनायीं लॉछन पाया ॥१ जो देउ पारिह लॉछन लागा । जानउँ चॅदर मेघ तर भागा ॥२ सोरहकरॉ करत उजियारा । पूनेउँ रात भई अँधियारा ॥३ चाँद कलंकी चितहि मुसानी । एक सँडनाही नौ सँड जानी ॥४ इँह पर जाइ मॅदिर ऊतरी । कॅवर देखि तो पार्छ परी ॥५ चढी चाँद धौराहर, सिर घर बैठ सराइ ।६ पंका निकरे धोके, मुख मसि धोई न जाइ ।।७ टिप्पणी-(१) सिघासन-देखिये टिप्पणी २५२१६ ।