पृष्ठ:चंदायन.djvu/२५९

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२५० कहै नाउ हु' देखउँ जाई । कउन तिरी यह इहवाँ आई ॥५ सँरंगा वेग चलायसि, खिन खिन चितहि सँखाइ"६ काह कहै कस पूछे", कइसे रहवाँ आइ ॥७ पाठान्तर-मनेर प्रति- शीर्षक दास्तान नमृदने चाँदा दस्ताने महाह रा (महायो चाँदा हाय दिसाना) १-गग सरिस औरय बरना । २-लोरक लीन्ह जाद। ३--पिर पिर चाँदा । ४-सोह देखी मा पेस्ट आवद । ५--ॉरंगा तीर जो पेवट आवा । ६-चमकावा । ७-वेवट देग अचम्भो रहा । ८-अवेली। । १०-कौन नार कहवा हुत आई।।१- सकाइ । १२-काह वहीं फेउँ पछउँ । ३०५ (रीरैण्ड्स २३६ : मनेर १५२य) आशिष शुदने मल्लाह अज दीदने जमाले सूरते चौदा (चाँदका सौन्दर्य देखकर महाका मुग्ध होना) खेवट' देख विमोहा रूप । अभरन बहुल' सुनारि सरूप ॥१ दई विधाता' पूजई आसा । अस तिरिया जो आवड़ पासा ॥२ खेवट कहा उतर दिस जाह । पैसि सरंगा बात कहाहू ॥३ चाँदा नारि उतावर चली । सेवट कहा पात है भली ॥४ 'गई चाँद उहँ लोरक रहा । सेवट सॅरंगा बस एक अहा ॥५ ___गुन बाँधी वह सेक्ट, मँरगा घेरी आई ।६ लेके पार उतारों सो धनि, जौलहि लोगर्हि आइ ॥७ पाटान्तर-मनेर प्रतिमे इस बयस्की मेल आरम्भिर तीन पत्तियों है। देश पत्तियाँ पडवर ३०७ ची है। शोर-दास्तान मुस्तार शुदने पेचर अज दीदने ऊ (उमे देश पर महाका प्रेमासक्त होना) १-येवट । २-यहत । ३-गुमाई। ४--यहा नाउ परदी गई। ५-पर।