पृष्ठ:चंदायन.djvu/२७१

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२६२ (६) पटवा---भेजा । बेल-सिरपल : श्रीपल, एक पल जिसका छिल्दा अत्यन्त कड़ा होता है। (७) हंकार --पुरारो। ३२३ (रीरेण्डस् २५० : मनेर १५१८) आमदने विद्या पेशे राव व परियाद कर्दन (विद्याका रावके पास जाकर फरियाद करना) कटि हाथ मुख कीन्हा कारा । बाँधे वेल सिंह जोरी मारा ? इहिं पर विद्या' जाइ तुलानाँ । देखि नगर महें परा भगाना ॥२ देखत लोग अचम्भे रहा । पूछत वात न विद्यहि कहा ॥३ विद्य: राइहं कीन्ह पुकारा । हुत जेवनारहिं राउ हकारा 18 विघहिं राइहॅ कीन्हि (जुहारा)। पूछा राउ के यह सारा" ||५ कौन परे अस राजा, आवा देस हमार" ।६ राउत पायक पॅहिको, लागो जाइ गुहार ॥७ मूलपाठ-(५) जहारू। पाटान्तर-मनेर प्रति-- शीर्षर-दास्तान दस्तो गत बुरीदने लोप ऊ रा (लोरपया उसका हाथ कान कार ऐना)। १-हाथ याटि योन्ही मुस । २~-याँध चेल जो जोरी धारा । ३ परिध बुदई । ४--म०-~सभ -अचम्भो ।६-पृदि । ७५ युदई। ८~दानी परी जादा -यईट राइ जहाँ चनारा । १० बुदइ राजहि जाइ जुहारा । ११-पृष्ठ मार्ग दियउँ अस वारा | १२ भाउँ बड़े अस राजा, रियर रेवमत 1) हमार । १३--दानी मार पोचपार को मारी, लागद वेगि गुहार । टिप्पणी-(१) कारा-बाला । मेर-श्रीपल, सिरफल । जोरी यारा-दाको बाँधा।