पृष्ठ:चंदायन.djvu/२७६

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पाठान्तर-अम्बई और मनेर प्रति- शीर्षक--(२०) जवाब गुफ्तन राव परगा लोरक व चॉदा रा (लोरक और चाँदको राव कर गाका उत्तर) (म०) शैलेण्ट्स प्रतिके समान । १-(ब०) राजा : (म०) राजै । २-(२०) बूझी : (म०) चाहँहि । ३-(२० म०) सो। ४-(२०) कटु अपहुँ। ५.--(म०) अजहूँ बहु सो र हो करों। ६-(ब०) जी मारे के सूरि फिराओ; (म०) जी मारों के सूरी भरो। ७--(ब० म०) लोरक । ८-(ब) नरिन्दर । ९-(२०) मेदिन कहै बडा है राऊ। (म०) मेदिन यहै भला है राऊ । १०-(१०) राउ हुर्त न होइ अन्याऊ (म०) राव हुतै बढ होइ न काऊ। ११-- (ब) तुम नरवर अन्याउ न जानहु, (म०) औ तुम्ह नरवइ नियायहि जामहु । १२-(ब०) जो बुर करहि देस कह पानटु. (म०) जो भर होइ सोइ तुम्ह मानहु । १३ (२०) राजा मरा वरउ तुम, हरदी पठवटु मोहि, (म०) राजा मया मोह कर, हरदीं पटबहु मोहि । ३३० (रीलैण्दत २५७) दापरत कर्दने राव करवा र लोरक (राय करकाका लोरकके प्रति उदारता प्रकट करना) राजै आगै लोर हँकारा | कवन' लाइ पाट वैसारा १ पूछइ वात लोर महँ कहऊ । माँस चार तुम इहयाँ रहऊ ॥२ पुनि मैं पठउब पाटन लोरा । चार न बंका होइ जिहि तोरा ॥३ चाँदहि आन मँदिर वैसाबहु । तुम्ह सँजोइ बतसार उतारहु ।।४ घोर आन बाँधहु घोरसारा | हमार कुटुंय जानउ परिवारा ॥५ सुन लोरक अस वत, राजा हम न रहाहिं ६ गोवर छाड़ हम आये इहबॉ, अब हरदीं दिसि जाहिं |७ टिप्पणी--(१) अवन-अमे। (२) इहवा-यहाँ । (३) पठडय--भेजेंगा। बंशयाँगा, टेदा । (६) रहाहि-रहंगे। (७) जाहि-जा रहे हैं।