पृष्ठ:चंदायन.djvu/२९८

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२८९ वसति करसा नियरान, अड़या रात जो राजा [-----१६ घोड़े चढ़ेउ लोरक तिहाँ, चल [- - - - - - - - - - - ७ (४) (पजाब [ला]) सुनि के महुवर कोट उचाया। जानसि लोरक मारे [आवा* ॥१ __गढ महं कीन्हें कात्र सरावा । काद धरै [---------------ाया ॥२ [----- हायहि राउ हिंग [--] । हरदीपाटन देस दिखाये ॥३ हमरे अइस दुरौ न कीजड । एक चढ़ाई भेद बहु दीजइ ॥४ अइस पुरुसे आह सयानाँ । पुरुस तिरिया देखहि बहिराना ॥५ [--..--.--.---..-.--.---.--1६ [-------


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टिप्पणी-ये चारों पृष्ठ जीर्ण हैं तथा उपलब्ध फोगेंमें लाल स्याहीमे लिखी पत्तियों सष्ट नहीं हैं । अत मस्लुत पाठ समन्य वाचन मात्र है। ३७१ (मनेर १७३) बहोदा सुदने चाँदा आजा वा लोरफ गुफ्तन (चाँदाश होशौ आमा और लोरकसे कहना) उठ गइ चाँद तें नीद भल आई । जस सपनै हो नागहिं साई ॥१ कहसि विचार पंथ सर जाही । सपनहि सो ठिक बूझी नाहीं ॥२ सपनहि चार मै सुतस दीसी । काल्हि रैन जो बन मँह पैसी ॥३ करम हमार सिध एक आवा । जिहहुत हम तुम्ह फेर मिराया ॥४ पाउ सिध के छाडेउँ नाही । जब लगि जीपहुँ मेउ कराही ॥५ देइ अमीस सिध अस बोला, लोरक यूँ मुर भाइ १६ चाट मांझ एक ट्रेंटा जोगी. मत चाँदहि लड़ जाइ ॥७ टिप्पणी-(६) मुर (मोर)-मेरा। (७) ट्रॅटा--असकरी ने इसे 'तोता' पढ़ा है और उसे तौता (पक्षी) में रूपम ग्रहण किया है पर यह स्पष्टत्त जोगीका विदोषण है। मनेर प्रनिने