पृष्ठ:चंदायन.djvu/३०

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कृतज्ञता ज्ञापन

कृतज्ञता ज्ञापन सर्वप्रथम मेम-स आव वेल्स म्यूजियम, यम्बइये डाइरेक्टर डाक्टर मोतीचन्द्र, जान रीलैण्ड्स पुस्तकालय, मैनचेस्टर (हङ्गरैण्ड) ये डाइरेक्टर डाक्टर इ० राबर्टसन तथा उसके इसलिखित ग्रन्थ विभागके अध्यक्ष डाक्टर एफ. टेलर, भारत क्ला भवन, काशीके सग्रहाध्यक्ष राय कृष्पादास, पजाब राजकीय संग्रहाल्यो अध्यक्ष श्री विद्यासागर सूरि, पटनाये सैयद हसन असररी, मैसाचुसेट्स (अमेरिका) के श्रीन्सिस होपर, रजा पुस्तकालय, रामपुरके पुस्तकाध्यक्ष श्री अर्शाका आभार मानता हूँ, जिन्होंने अपने सग्रहकी च दायन सम्बन्धी सामग्री प्रसनतापूर्वक मुझे मुलभ कर दी और उन्हें प्रकाशित करनेकी अनुमति प्रदान की। जान रीलैण्ड्स पुस्तकालय अधिकारियोंका इसलिए भी अत्यन्त अनुगृहीत हूँ कि उन्होंने न केवल मुझे अपनी प्रतिरे उपयोग और प्रकाशित करनेकी अनुमति दी, वरन् उसे ढूँद निकालने के कारण उन्होंने उसपर मेरा अधिकार स्वीकार किया और स्वेच्छया अपना यह क्तव्य भी माना कि जबतक मेरा मथ तैपार न हो जाय तबतक वे उस प्रतिके सम्बन्धमें किसी प्रकारकी सूचना किसी अन्य व्यक्तिको न देंगे और तत्सम्बधी जानकारी अपने तक ही सीमित रसेंगे । और इसका निर्वाह उन्होंने पूर्णत किया। लैप्ड्सवाली प्रति हूँद निकाल्ने ब्रिटिश म्यूजियम प्राच्य पुस्तक विभागके श्री जी. एम. मेरेडिय ओवेस और इण्डिया आपिस पुस्तकालयकी सहायक कोपर मिस ई० एम० डाइम्सने मेरी बहुत बड़ी सहायता को । भारतीय कलाके अमेरिकी क्ला मर्मज्ञ श्री कैरी चेल्सने होपर संग्रहके पृथके ट्रान्सपेरेन्सी तैयार कर भेजनेको कृपा की। लाहौर सग्रहाल्यकी प्रतिके पोटोकी प्राति सुविख्यात चित्रकार श्री अन्दुर्रहमान चुगताई और दाका समहाल्यके अध्यक्ष डाक्टर अहमद हसन दानीकी सहायता पिना सम्भव न था । इन सबके प्रति भी मै अत्यन्त कृतज्ञ हूँ। डाक्टर मोतीचगये प्रति किन शन्दाम अपनी कृतज्ञता प्रकट करूं । उनका तो चिरऋणी रहूँगा । उन्होंने मेरे इस कार्यमें आरम्भते रुचि ली और मुझे सतत प्रोत्साहित करते रहे । यही नहीं, पाठोद्धार कार्यमे भी मेरा निरन्तर निर्देशन करते रहे, पठिन स्थलोके पाठोद्धारमें स्वय माथापच्ची की और उपयुत्त पाठ सुझाये। उनके सहयोग पिना कदाचित मैं इस कार्यको शीघ्र और सुगमतासे न कर पाता। उर्दू रिसर्च इन्सटीट्यूट, बम्बईचे डाइरेक्टर श्री नजीर अशरफ नदवी और उनके सहायक