पृष्ठ:चंदायन.djvu/३०७

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२९८ (रोलैण्ड्स २७८) बाज आमदने राव अज शिकार व मादम क्दन हजाम कैफियते लोक (रावके शिफारसे घापस पाने पर नाईका लोरको सम्बन्धमें पताना) होइ अहेरें राउ घर आवा । नाउ जाइ कही कुर पाया ॥१ पूछा राइ कउन इह अहा । जस सुनाँ तस नाऊँ कहा ॥२ राउ कहा कहँ दीन्हि उतारा । ऊँच मँदिर नीक घोरसारा ॥३ इहँ नर नौखंड प्रिथमी जाने । अस दिनयर तस किरति यखाने ॥४ सुन राजै अस कीरत कीन्हा । जोगै जगत मंदिर वहि दीन्हा ॥५ आहि गोचर कर, लोरक नाउँ कहा जुझार ॥६ जिंह कारन राउ रूपचंद मारा, ऊहै चाँदा नार ॥७ टिप्पणी-(७) दिनपर-दिनकर, सूर्य । (७) है-रही। ३९४ (रोरेण्ड्स २७९ : पम्यई।" आमदने लरक पेश राव ौतम (लोरकका राव शेतमके पास भाना) खेम कुसर निसि खेलि बिहानी' । रंग राती निसि पिरम कहानी' ॥१ देइ पिछौरा राउ' जोहारा । राउ मया के लोर हँकारा ॥२ राउ पूछहि तुम्ह कैसे आयहु । थाट घाट कस आरन पायहु ॥३ नगर सोगीर जोहि हम आये । राउ' करिका भेज चुलायें ॥४ देखन पाइ राइ के आयउँ । दयी सँजोगें' आन मिरायउँ" ॥५ भले लोर तुम्ह आयउ इहवाँ, राखहु चिन्त हमार १६ जो कछु आह हमारे", सो फनि जानु तुम्हार ॥७ पाटान्तर-यमई प्रति- शीर-आमदने लोरक पर यक्के होतम वे सलाम कर्दन (गेरस्का राब होतम फे. पास आकर हार करना)