पृष्ठ:चंदायन.djvu/३०८

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२९९ १--विहानी। २-कहानी। ३-राह। ४-धीर। ५-राइ । ६.-भोंगीर । ७--राइ । ८-हॅकराये। ९-सॅजोगे। १०- मिलायउँ। १२-हमारें। टिप्पणी-(४) सोगीर-सम्भवतः शुद्ध पाठ भोगीर है जैसा कि बम्बई प्रतिम है। यह उडीसा का एक प्रसिद्ध स्थान है। राउ करिकासम्भवतः करिका, कलिंगका स्व है और यहाँ सात्पर्य कलिगनरेशसे है। इन भौगोलिक पहचानोकी प्रामाणिक्ता काव्यमें आये अन्य भौगोलिक पहचानों पर ही निर्भर है। ३९५ (रीरेण्ड्स २८० : यम्बई २) असरान दहानीदने राव मर लोरक रा व वर्गे सब्ज दादन (रायको लोरकको धोडा और पान देना) सेंहथ राइ पान कर लीन्हाँ । नियर' हँकार लोर कहँ दीन्हों ॥१ सीस चदाइ' लोरक लेतसि । रहसि कैकान राइ फुनि देतसि ॥२ तिहि तुरिया चढ़ि लोर पहिरावा । हर्ने ताजिन घोर दौराया ॥३ रहँसा लोर तुरी जो पाया । यवन सगुन जो इहवाँ आया ॥४ पुरुष सोइ जो पर हिय जाई । जग' सुने तिहि करत भलाई ॥५ लोर चाँद गोवर पिसार", अगये। हरदी पास ६ यरस दिवस औ कातिक मासा" कीन्हा भोग विलास ॥७ पाठान्तर--बम्बई प्रति- शीर्षक-मरहमत वर्दने राव क्षेतम च वर्ग दादन लोरक ग (राव झेतकका शेरको प्रति कृपा भाव व्यक्त करना और पान देना)। इस मति मे पक्ति ३ और ४ के पद इस प्रति में परस्पर मिले हुए हैं। अर्थात् पदों क्रम है ३१२ और ४११, ३११ और ४२ । यही क्रम ठीक भी जान पडता है। १-धीर।२-नाइये । ३-रोरख । ४-एक । ५-६ने । ६- दौरया । --हो। ८--हित। -जिह ! १.-पिसारा । ११-- लेतस । १२-वैतिक । टिप्पणी-(१) संथ राइ हरदौपाटन रावका नाम जान पड़ता है । पर कडवक ३१५ से उनका नाम शेतम प्रकट होता है। हो सकता है पाठ 'मैं