पृष्ठ:चंदायन.djvu/३१२

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सम्बोधनका प्रयोग किया है। टॉड-सार्थवाह, कारवाँ, व्यापारी समूह । दोसै-'दिक्सै' याठ भी सम्भव है। (२) यार-याल, पुत्र! (रीलैण्ड्स २८५) जवाब दादने नायक खोलिन रा कैफियते थनिज (नायकका खोलिनसे रणिजका वृत्तान्त कहना ) .. मैज मँजीठ चिरौंजि सुपारी । नरियर गोवा लौंग छहारी ॥१ सौ दिक मँहा कुँ. चलावा । पतरज घरनहि गिनति न आकार पाट पटोर चीवर बहु भाँती । हिय में सहस सहस कै पाँती ॥३ हीर पटोर रूप बहुतायता । रेनॉ चन्दन अगर भर लामता ॥४ गोवर का बॉभन सिरजन नाऊँ । हरदीपाटन पुरुषहि जाऊँ ॥५ घरद सहस दस आपन, औ मेला यह आइ १६ दखिन हुतें भर लापता, पाटन मेलसि जाइ ॥७ टिप्पणी-(१) मैन-सम्भवतः मैनफ्ल; एक पल जो औषधि के काम आता है। मजीठ-एक फल जो औषधि के काम आता है; लाल रंग। नारियर-नारियल | गोवा-(स० गुवाक )-एक प्रकारको सुपारी। छहारी-बुहारा। (३) पार पटोर-देखिये टिप्पणी ३२१७ । धीवर-वस्त्र । १४) हीर पटोर-देखिये टिप्पणी २८1७ । बेनों (स० वीरण)--स। (५) वामन-~-बाह्मण ! (६) बरद-बैल ! ४०१ (लण्दा २८५ : कारी) गिरियाक्दने योलिन व पाये सिरजन उस्तादने मैना (सोलिनका रोना और मैनाका सिरजनके पैर पड़ना) सुन पाटन सोलिन' तस रोया । नैन नीर' मुस ही धोश ॥१ मैंना आई पायँ लै परी । सिरजन सु कहूँ एक धरी ॥२