पृष्ठ:चंदायन.djvu/३३४

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३२५ देस देसन्तर तिहि संग धाये । बनसँड गवने घर न रहाये ॥३ गरह नवह जिंहि होइ मिरारा । तुम नसोर हम चाहत पारा ॥४ हजा नारि मोर संग आवमि । जिहि लाये धनि अपुन राममि ॥५ मंगर युथ विरस्पत, सुकर सनीचर राहु ६ चाँद सुरुज लै अँथना, बारह घरिह उतराड 11७ (रीमण्ड्म ३१14) रवान कर्दने लोस य बाँदा सूये गोचर (गोवरकी ओर लोरक और धादका रवाना होना) सूरुज दिस्टि सिंह घर गये । मीन ठाँउँ हुत अँठये भये ॥१ सयन न कर चाँद क कहा । संग बैटि दीड लागि रहा ॥२ पहर रात उठि कीन्हि पयानाँ । कोस बीस इक जाइ तुलानाँ ॥३ कोस तीस सिंह गोवराँ लागे । उतर देवहाँ लोग डर भागे ॥४ घर घर गोवरों घात जनाई । को एक राउ उतरि गा आई ॥५ साई कोट सॅवारहुँ बैटे रिसे झुझार ।६ जौलहि राउ गढ़ होड लागे, तौलहि लोग सँभार ॥७ टिपणी- देवहाँ-एक नदी । प्रसगसे जान पटता है कि यह नदी गोवर निस्ट ही थी । हरदी नाते समय लोर और चाँदने गगा पार किया था ( स्पष्ट है मिगगा मी गोररसे दूर न थीं। अत यह कहना गलत न होगा कि गगारे आस पास ही देवहाँ नदी भी रहती रही होगी। भारतीय स विभाग में डिप्टी मेयर जनरल कर्नल यमुना नारायण सिनहाने हम सूचित किया है कि दयहाँ नाममी नदी नैनीताल जिलेम एर पहाडी तरहटी से निकलती है और पीलीभीत, वीसलपुर, शाहजहाँपुर, शाहाबाद होती हुई कनौजसे सात मील उत्तर गगाम जार गिरती है। शाहजहाँपुर ता इसका नाम देवही है। उसरे जागे शाहबाद तक यह देवहाँ और गर्ग दो मामाने पुवारी जाती है। शाहाराद के बाद लोग उसे बैरल गर्ग नाममे परिचित है। शाहबाद से ६ मोर परिश्रम इस नदी तर पर गौडा नामक स्थान भी है। गरां और गीटा दोनों ही गोवर की याद दिलाते हैं।