पृष्ठ:चंदायन.djvu/३३६

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३२७ (रीलैण्ड्म ३१७) तल्बीदने पुरिस्तादने लोक गुल्फ्रोश रा यरे मैंनॉ वा गुल (लोरक्का मालीको बुलाकर फूलके साथ मैनाके पास भेजना) दिन भा लोरक मारी बुलाया । गोवरॉ कस है वाता जनावा ॥१ अस जनि कहु फि लोर पठायउ । जो को पूछहि कहसि हो आयउँ ॥२ शल करेंड भरि माली लेतस । फिर फिर गोवरा घर घर देतस ॥३ देस फूल मैनां तस रोई 1 फर सोभरहि जिहि पिउ होई ॥४ नाँह मोर परदेसहिं छाया । फल पान महिं देस न भावा ॥५ घरकै हार मेलमि, माली कोजरि फूल ६ चास लागि सत मैना, उठ चैसी अस योल ७ टिप्पणी-(१) मारी-माली। ४४० (रीरेण्ड्स ३१५) पुरमीदने मैंनों पर गुल परोश रा सनर (मैनाका मारीसे हाल चाल पूछना ) पहसु महिं पारी कितहुत आरा । फूलबास मे लोरक पारा ॥१ जानउँ अम तो लोर पठावा । सपने मॉझ जो देरोउँ आवा ॥२ लाग यास मोर हिया जुडाना । अइस फूल पिउ लोरफ आना ॥३ लोर नॉउ लै सर दुस रोई | जनु साँपन चोरवहटी होई ॥४ सुरुज कहँ मारग हो चाहँउँ । लेगयी चाँद कहाँ अन पाहउँ ॥५ देवस विहाने रोऊँ, रैन जागत जाइ ।६ पायँ लागि मैं रिनपउँ, जो परदेसी आइ १७