पृष्ठ:चंदायन.djvu/३४८

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३४० वनम आनेका कारण पृछा और जानना चाहा कि सरे हायमें क्विका विकार है। उसपर अक्ति नारी चिकी ओर राजा चचल चित्त आकृष्ट हो गया था। योगने बताया-पश्चिम देशम गोहारी नामक राज्य है। वहाँरे गा नाम महरा है । उसका र जामाता है, जिसका नाम पावनौर है। यह अन्पन्न पली है । उसरी वीरतावे कारण ही राग मुखपूर्व राज्य करता है। उसकी पत्नी, महराची राजकुमारी परम स्पक्ती है । उसरा नाम चन्द्रानी है। उसने रूपकी चर्चा देश देशान्तर तक फैली हुई है। उसे देखने लिए दूर दूरसे राज महाराज गोहारी देशम जाते है । सर ऐश्वयं होते हुए भी चद्रानीका पति पावनवीर कामादिसे वचित है । जर भी बावनवीर चन्द्रानौरे पास जाता तो वह और उसको ससियों उसकी बडी सेवा करती और पाम भोगये लिए प्रेरित करतीं। ग्न्तुि वह उस पर तनिक भी ध्यान नहीं देता। एक दिन चन्द्रानीसरी धापने वादनको जपनी पत्नीक माथ रात्रि गमन लिए आवाहन दिया । उस दिन रावन आया और चन्द्रानी साथ उसरा साक्षात भी हुआ । रिन्तु उसने सारी रात्रि सोनमें हो पिता दिया और सरा होते ही वह वनको चला गरा। उसपे चले जाने पर चन्द्रानी विलाप करने लगी। उसने अपनी माँसे जाकर कहा कि अब वह एकाकिनी रहेगी। अगर उसे पुनः उसके पतिते मिलानेका पन लिया गया तो वह जहर खाकर जान दे देगी। पल्तः उसकी माने राजासे रहकर उसरे लिए एक बहुत पडा सजा राजाया महरू पनवा दिया और उसकी देसरेप लिए अनेक मुन्दरिया नियुक्त पर दी। नये मदमे जनेसे पूर्व चन्द्रानी अपनी सपियों साथ देवस्थानमें गयी । यहाँ उसरे रूपदर्शनने लिए छोटे बड़े सब एकत्र हुए। मैं भी उस दिन नहाँ समाधिस रैठा था। उसके रूपको देसते हो मैं संश- हीन हो गया और तभी से मैं भ्रान्त होर घुम रहा है। तीन दिन की मूछरे बाद जब मुझे शन हुथा तो मैंने लेगों से कहा कि देवी ने मुझे साक्षात दर्शन दिया है। यह सुनकर रोग हंसे और उन्होंने मुझे मूर्ग यहा। उन्होंने बताया कि जिसे मैने देशा यह राजकुमारी चन्द्रानी थी। उस दर्शन पिर सभव न गनकर मैंने इस चित्रपटका अपने गम रपय छोटा है। यहाँ आकर मैंने देखा कि आप उस रूपवतीसे मिलनेर अधिकारी हैं। चन्द्रानी रूपरी कहानी मुनकर और उससे मिलनेरो विरल हो उठा। योगी उसे महावी राजधानी रे चलने सहमत होगा। सेना तैगरवी गयी और उसे रेकर लोर गोहारी माटल्में पहुँना | जर महरापोलोरपे मानेसी यात शव हु तो उसने उममी पट्टी आभगत वा और युटुत सी दस्तुएँ भेट दी। गोहारो देशम छ माग तर रहने पर भी गोखो चन्द्रानारे दर्शन न हुए। उसे मात दुश्री Eि चन्द्रानी एष दुर्भघ निर्जन सानमे रहता है। वहाँ पहुँचनेरे सब मार्ग बन्द हैं। साल्म दो बार राग देश विदेश गगऑको निमन्नग परता है और उस समर चन्द्रानीका देखने लिए देश देशरे गजा यहाँ आते हैं। जबह अपर आया और सब राजा