पृष्ठ:चंदायन.djvu/३४९

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३४१ लोग राजसमा एकत्र हुए तो लोर भी यहाँ गया । चन्द्रानीने झरोखेसे लोरको देखा। लोर पर दृष्टि पडते ही वह अचेत हो गयी और उसकी सखियाँ घबरा उठीं। सभा भग हो गयी और उपस्थित लोग अपने अपने निवास स्थानको चले गये। लोरी चन्द्रानीमा दर्शन न हो सका और वह उसके वियोगम व्याकुल हो उठा। इधर चन्द्रानीने जयमे लोरको देया तपसे उसने सखियों से मिलना जुल्ना बद पर दिया । वस्त्राभूषण त्याग दिये। दिन दिन उसका गरीर क्षीण होने लगा। सरिसयोयो युमारीकी दरा दशाका कारण जात न हो सरा। जर चन्द्रानीकी धायस यह सब न देखा जा सवा तो एक दिन उसने उसकी वेदनाका कारण पूछा। उसने यह भी आश्वासन दिया कि यदि वह कारण ता दे तो चाहे जिस तरह हो उमे दूर करेगी। बहुत कहने सुनने पर चन्द्रानी ने अपने मनकी व्यथाका कारण प्राट की और अपने प्रेमी से मिला देनेकी प्रार्थनाकी । यह सुनकर धायने कहा- यह तो सहज बात है। तुम अपने पितासे राजाओंको पुनः निमनित करनेका अनुरोध करो। तदनुसार चन्द्रानीने अपने पितासे अनुरोध किया और उसने सय राजाओको निमन्वित रिया | सर राजालोग एकन हुए । पानफुलसे उनका मत्कार किया गया । धायने इस बीच ममामें एर दर्पण भिजवा दिया। दर्पण इतना आर्पक था कि उसे देखने लिए सभाम एकत्र लोग उसके निकट आने लगे। जैसे ही लगेर उस दर्पणके पास आया, धायने तत्काल चन्द्रानी को द्वारपर सडा पर दिया और उसका प्रनिनिभ्य दर्पणमें जा पडा। चन्दानीरे प्रतिविम्बको देखते ही लोर मुठिन हो गया। लेग इसे उठासर उमरे शिविरम ले गये, पर के मंछित होनेरे कारण न जान सके । । होश आनेपर लगेर विरह वेदनासे सतत हो उठा। उधर चन्द्रानीको भी अवस्था रिगडने लगी। शयने उससे धैर्य रएनेको कहा और लोरफे शिविरमे गयी। द्वारपाल्ने लोरको सूचना दी कि एक वृद्धा मिल्ने आयी है । तोरने उसे बुलाया। आनेपर उसने वृद्धासे उसका पता टिकाना पृथा । वृद्धाने अपना नाम प्रतशील यताया और व्यवसाय वैटाक । यह सुनपर लोरने कहा-~-तुम मेरी चिरित्सा नदी चर सकती। तर यातचीतमें धायने चन्द्रानीका नाम लिया और उटवर जाने लगी । लोरने उसे तत्काल रोका और अपने मनसरी व्यथा यह मुनायी। उसे सुनकर धायने कहा-तुम्हे तो प्रेम रोग है। उसकी औषधि मेरे पास नहीं है । उसरी औषधि तो एकमात्र प्राण पारी का मिल्न ही है। चन्द्रानोरा पति पावनधीर बडा ही भवरर आदमी है । सुनेगा तो मार डालेगा। __ोरपे यदुत अनुनय विनय करनेपर धायने कहा-अच्छा, तुम योगीका रूप धारण पर देवस्थान चले। वहीं तुम्हारी प्रेमियारो तुम्हारी भेट होगी। यह पदयर धाय चन्द्रानीवे पास लौट आयी और चन्द्रानी अवसर देसपर देवस्थान जानको या। प दिवस आनेपर चन्द्रानी ससियों के साथ देवस्थान गी और वहाँ