पृष्ठ:चंदायन.djvu/३५०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

३४२ उसने योगी वेश धारी लोरको देखा। लोगों की नजर बचाने लिए उसने अपने गल्नी रत्नमाला तोड दी। सब रन रिसर पडे। सभी सरिसयाँ रत्न बटोरनेमे लग गयीं ओर दोनों प्रेमी प्रेमिका एक टक एक दूसरेको निहारते रहे। जर ससियोंने रत्न एक्न र पिरोकर उसे दिया तो उसे लेकर चन्द्रानी वहाँसे हट आयी और देवोकी पूना वर घर लौटी। लोरने अर चन्द्रानीसे मिल्नेका पूरा निश्चय कर लिया और चन्द्रानी दुध्य महल तर पहुँचनेका उपाय सोचरर एक क्मन्द बनवायी रातम यह महल रे पीछे जा पहुँचा । और पहरदाराकी निगाह पवार उसने चन्द्रानी महल पर कमन्द पया। ससियाने तत्काल कमन्द उसाड दो। लेकिन लोर हताश नहा हुआ। उसन पुन मन्द पची और कमन्द छतसे जाकर अटक गयी । सखियोंने उसे पिर उसाड दिया। लगेरने देवगोको प्रार्थना करते तीसरी बार पमन्द पमी और इस बार उसरा नुकीला अश उतमे जाकर पूरी तरहसे बैठ गया। यह देखरर कि लोरका पीरुप शाम कर गया, चन्द्रानीरी ससियोंने उसे हरानेकी दूसरी तरकीत्र सोची। उन्होंने एक ही तरहकी चार सेजें रिठाया। तीन सरिसयोने चन्द्रानीपे वस्त्र पहन लिये और चन्द्रानोको रेकर चारों चार शय्या पर सो गयीं। होर जर उपर पहुँचा तो उसने यहाँ एक ही तरहको शय्या पर एक ही तरह दी वेशभूपामे चार युवतियोंको सोता पाया । वह सोचमें पड़ गया कि चन्द्रानीको कैसे पहचाना जाय । वह नारों सेजोंका ध्यानपूर्वक निरीक्षण करने लगा। उसने देखा कि युमारीसी शैय्या चदोवासा वन्धन तो पुराना है और शेषका नया । तत्काल वह चन्द्रानीरी दीय्या पहचान गया | ससियाँ अपना यार साली गया देखकर उसकी परिचयाम लग गयी। इस प्रकार लेर और चन्द्रानीका मिलन दुआ। दूसरे दिन उसी प्रकार और चलानीसे मिला । उस दिन चन्द्रानीने बताया कि उसका पति-पावनधीर बनसे लोग्ने वाला है। यदि उसे इस रहस्यका पता लग गया तो बिना गारे नहीं छोड़ेगा । चन्द्रानी यह कहकर विलाप करने लगी। लोर ने उसे धीरज धाया। यहा-~-डरने की कोई बात नहीं। बावन आनेसे पहले ही मैं तुम्हें यहाँसे निकाल ले जाऊंगा। यह चन्द्रानीको महल्वे निगल लाया और रथ पर वैटार गारथी मित्रकप्टसे रथरो बन मागंसे चलनेको यहा तारि यायनो पता न लग सरे । लर और चन्द्रानी भाग जानेका समाचार जर राजा रानीको मिला तो वे लिप परने लगे। बावनको जर जात हुआ कि लोग उसरी पनीको भगा ले गया है तो यह बोध और अरमानसे शुन्य होरर सेनाये साभ तोर बगानीका खोजमना । सोजते-सोजते उसने लोर-नन्द्रानीको ढूँद निराला और लोरको विकारते हुए उसने उग पर चोरोग दोर लगाया और युदय लिए ललकारा । रोरन उचर दिया--