पृष्ठ:चंदायन.djvu/३५३

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३४५ पश्चात् मैनाकी विरह व्यथा अत्यत दुस्सह हो उठती है। उसे धैर्य देने के लिए उसकी ससी एक लम्बी कहानी रहती है। यहानी सुनकर मैंनाको धैर्य मिलता है। इस प्रकार चौदह परस बीत गये । तर मैंनाने लोररे पास एक वृद्ध ब्राह्मण को भेजा। ब्राह्मण अपने साथ एक पसी लेकर लगेर के पास गया । राजामभामे उम पीने से सम्मुरप मैनाकी विरह वेदना व्यक्त की । फ्ल्त लोर विकल हो गया और मैनारे पास गनेकी तैयारी की और चद्रानीको साथ लेकर वह मैनारे पास आ गया। दोनों रानियों के साथ सुरसभोग करता हुआ आयुपूर्ण होनेपर होरको मृत्यु हुई। दोना पत्नियाँ उसके साथ सती हो गयीं । rater 'मी Proven