लोरफ-चाँदसे सम्बद्ध लोक-कथा लेख चाँदको क्या पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश पूर्वी भागरे विभिन्न प्रदेश लोक जीवनम पापी प्रसिद्ध है। किन्तु उससे रूपमें पर्यात विविधता पायी जाती है। हम यहाँ भोजपुरी प्रदेश, मिर्जापुर, भागलपुर, मिथिला, उत्तीसगढ़ राधा राधाल परगना में प्रचलित लोर क्थाआवो सपल्तिकर रहे हैं। हमारा विचार अवधम प्रचलित क्या रूप भी देनेवा था किन्तु प्रयल वरनेपर भी हमे वह प्राप्त न हो सका। इन लेर कथाओं साथ चन्दायनकी कथाका तुलनात्मक अध्ययन उपयोगी और मनोरजन होगा। भोजपुरी रूप लोरक चाँदको लोक प्रचलित क्याका, जो भोजपुरी प्रदेश में रोरिकी, चनेनी, रोरिफायन आदि नामों से प्रचलित है और पवारेये रूपमें विशेष रूपसे अहोमे गायी जाती है, अब तर योई इसका प्रमाणित रूप प्रकाशमें नहीं आया है। आरा निवासी महादेवसिंहने इस पवारे एक बहुत बड़े अशको अपने साँचे ढालकर प्रकाशित किया है । इरारा पूर्व अश उन्होंने तीन गण्डॉम लोरिफायन नामसे प्रस्तुत किया है, जो दूधनाथ पुसयालय, फल्क्त्तासे प्रकाशित हुआ है। तीसरे सप्टये अवमें उन्होंने सूचना दी है सि आगेका यान चांनवाया उदार मगापर देखें | चानराका उदार रोरिकायनकी क्या ही प्राममें है और वह भार्गव पुसमाल्य, वाराणसीसे प्रकाशित हुई है। इस राष्टय अतम आगेगाहाल नेउरपुरकी लड़ाईमें देसनेको कहा गया है। पिन्तु यह एण्ट सम्भवत. प्रकाशित नहीं हुआ है। अत. बथाना अन्तिम अश अनुपलब्ध है। इस सूतसे रोप चांदवी स्थाया जा भी अश प्रात है, वह विलत है । सक्षेपमं वह इस प्रकार है- पारद कासम विस्तृत गौरा नामा एक नगर था । वहाँ एक अहोर दमति रहता था। पतिका नाम बुढचे और पनीरा नाम पुटपुदल्न था। उनमें कोई सतान न थी। उसी नगरम राबरू और शिवचद नामर दो अमाप पर वार थे। उनी दयनीय अपसारो द्रवित होरर बुदा सपस्यो अपने घर ले आया और शिषचदको पिपरीपुरता गजा माशी गपण, जो जातिय दुसाध' था, अपने यहाँ ले 1. भाजही दानेवारी र जाति, जी मुभर पार का पता करती है।