पृष्ठ:चंदायन.djvu/३६३

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प्राप्त कर सात सौ धीरॉकी बारात लेकर लोरिक चला । जगह-जगह रुकतो हुई बारात उइनियाडिह पहुँची । यहाँ बाराती रोग रुके और पापीकर सो गये। गेरिकने व्यवस्था की कि पहले पहरमें बुढये, दूसरे पहरमे मितारजाल, तीसरे पहरमे मवरूपहरा देगे। और वह स्वय चौथे पहरमे पहरेपर रहेगा। बामदेवको जब बागत आनेकी सूचना मिली तो उसने फुलिया डाइनको सारी बारातको मार डालनेका आदेश दिया। फुलिया डाइन इनिया पहाडपर पहुंची। उस समय बुदबेका पहरा था। उसके कठोर पहरेमे अपनी दाल गलते न देस, वह दूसरे पहरेकी प्रतीक्षा करने लगी। बुढरवेने पहरेवे बाद मितारजइल और सवरूके पहरे में भी उसका कोई दाँव न लगा। अन्तमें रोरिकका पहरा आया । लोरिसको देखकर पुलिया डाइन और भी घबरायी। उसे लगा कि उसका मनोरथ सिद्धन होगा । जब आकाशमै लाली दिखाई देने लगी तो लोरिकने सोचा कि सबेरा हुआ चाहता है, अब डरकी कोई बात नहीं है और वह बारातसे कुछ दूर जाकर सो रहा । बस फुलिया डाइनको मौका मिला और उसने ऐसा जादू मारा कि सारी बारात पत्थर बन गयी। देवी वरदानके कारण वेधल लोरिक बच रहा। जनरिक्की नींद टूटी तो यह सारी बारातको पत्थर बना देखकर बहुत घरदाया और विगए करने लगा । अतमें निराश होकर उसने देवीका स्मरणकर अपना सर काटवर चढ़ाना चाहा 1 देवीने तत्काल प्रस्ट होकर उसका हाथ पकट लिया। बोली-रस, इतने में घबरा गये? अभी तो आगे नहत सी कटिनाइयाँ आयगी। फिर लोरिकको समझा बुझाकर कहा कि मुरौली बाजारकी चौमुहानीपर जाकर जोरसे पुकार करो। तुम्हारी पुकार सुनकर कोई न कोई सहायता लिए अवश्य आयेगा। तदनुसार लोरिक सुरोलोगी चौमुहानीपर जाकर चिल्लाने लगा। लोरिकको करुण पुकार गुनकर मदागिन' उसने पास आयी और करुण व दनना कारण पूछने लगी। लोरिक्ने उसे रार हाल रह मुनाया। उसकी बात सुनकर वह इसके साथ आयी और वरातपर एक दृष्टि दौडायी। जब उसने स्वरुको देखा तो वह उसपर मोहित हो गयी। सत्याल वह हाथ पूल पर मत्र पढकर मारने लगी। तीन पल मारते ही सब रात उठ सही हुई। मदागिन अपने घरकी ओर लौट चली। मितरजइलने लोरिक् को देखकर कहा-~आज तो मैं बहुत सोया। ऐसी नाद कभी नही आयी थी। लोरिक योला-ऐसी नोंद तुम्हारे दुश्मनों आये । और सारी घटना कह सुनायी। सब मितरजइने कहा-जिरा मदागिनरे लिए इतना करोग हुआ है, यही तो आ रही है। उस परुड लाओ। गोरा ले चलकर सवरूवे साय उसको शादीवर दी जाय । १. पहीवही इसका नाम मनाइन भी पाया जाता है।