पृष्ठ:चंदायन.djvu/३६४

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३५६ लोरिक्ने उत्तर दिया -गौरासे तो यह निश्चय कर चले थे कि लडाई परके शादी करेंगे और अब यहाँ कायरकी सी बात करते हो ! सीवी चोरी कीरोंदा वाम नहीं है। मैं अपने तेगरे पल्पर शादी करूँगा। मुझे चोर कलना कभी अभय नहीं । आप लोग मेरे सहारे लिए पीछे रहिये । में अवेले शादी करूँगा। रि कुछ रुरकर योला-जरा इस सम्बन्धमे मै भोजो (भाभी) से भी पृछ → कि वह क्या कहती हैं। ___ और वह तत्वाल भदाकिनवे पीछे दौडा और सामने जाकर उसे भौती (भाभी) सबोधनपे साथ नमरपार क्यिा । मदाक्निने उससे 'भौजी' सम्बोधन करनेका कारण पूछा। लोरिक्ने बताया तुमसे अपने भाईका विवाह करने लिए ही बारात सजावर लाया हूँ इसलिए में तुम्हें 'भौजी' कह रहा हूँ। भदाचिनने कहा--चुप रहो। वहीं मेरे मिताने सुन पाया तो उन्हें जानसे मरवा देंगे। मुझसे विवाह करने लिए कितने ही लोग आये पर कोई भी अपने घर वापस न जा सका । दाल इसीमे है कि गौरा वापस चले जाओ। लगेरिपने तमकर उत्तर दिया-मीजी | मेरा नाम लोरिक मनियार है। विना विवाह किए गौरा वापस जानेका नहीं। अब तक तुमसे विवाह परनेरे लिए जितने रोग भी आये, वे मर्द नहीं थे भेड थे। भेंट बकरी पारर नुम्हारे पिताने उन्हें भाट डारा। इस बार उन्हे मर्दसे पाला पड़ेगा। ___ मदाविन चोली-देवर मेरे। तुम्हारी सरत अवर्णनीय है। मेरी बात मानो। जावर टोला (पाली) ले आओ और मुझे लेकर गौरा भाग चले। कहाँ चल्दर शादी परना। मेरे पिता युद्धमै रहुत भयर हैं। वे अपना पराया कुछ भी नहीं पहचानते । उनसे नुम जीत न सकोगे। लोरिव पोला-माजी ! तुम्हारा विवाह रिये दिना मे गौरासे नहीं जाऊँगा। तुम्हे इस प्रसार ते चलेंगा तो मेरी सी होगी। स्त्री पुरप सभी कहेंगे कि कोरिख शतिहीन था, नारो चुराकर ले गया । ३ ते बिना उपस्या विवाह किये में गौरा नहीं जाता। यह कहकर कोरिक लोट पटा और वायत पर मुरीलीवी सीमापर पहुंचा। युदयने तारा द्वारा चारात जानेवी रचना वामदेवको भेज दी। जय मीताने यामदेवसे यह समाचार पहा तो उत्तर मिला-जर तर युदमे हमें हरा न दो शादी नहीं की जा सकता। यह सुनते ही मीता अगार हो गया और बोला- टीका है। राज्य हम निश्चय ही पूर्ण करेंगे। उसने लोटपर लोरिक्से सारी बात यह मुनायो । गरिव भी पर मुनकर आग रचूला हो गया। पुटकी पारी करने लगा नामदेवने अपने बेटे माहिलगे भार हारे देदारी यशादेश