पृष्ठ:चंदायन.djvu/३६५

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दिया | माहिलने तत्काल सात हजार सेना तैयारकी और यहाँ आ पहुंचा, जहाँ लोरिकका पडाव पड़ा था।

दोनों पक्षों में खूब घमासान युद्ध हुआ। अन्तमें रामदेव पराजित हुआ और.बद्द लोरिक्वे चरणोंमे गिर पड़ा। लोरिक्ने क्रुद्ध होकर उसके कान काट लिये। वामदेव हाथ जोड़कर अनुनय करने लगा-मेरी जान मत लीजिये।

तब लोरिकने उसे जीवित छोड दिया और हाथ पैर बाँधार उसे बारातके साथ सुरौली ले चला। इस प्रकार पराजित होकर बामदेवने सवलका रिवाह मदा किनो साथ कर दिया । बाराती वर वधूरे साथ गौरा वापस लौट आये।

अगोरिया नगरमें मलयगित नामा दुसाध जातिका राजा राज करता था। उसने इस बातकी घोषणा कर रखी थी कि राज्यमे जिस किसीकी भी लडकी मुन्दर होगी, उससे मैं विवाह करूँगा । चमारोको उसने आदेश दे रखा था कि जिस क्सिीके यहाँ एडको जन्म ले, उसकी सूचना उसे तत्काल दी जाय ।

उसके राज्य में एक महरा मनियार रहते थे। उनके यहाँ भादीकी अष्टमीको उनकी पदी पद्मासी कोससे एक लडकीने जन्म लिया। उसका नाम उन्होंने मजरी रना । बरही होने के पश्चात् नाल काटने आयी हुई धगडिन (चमारिन) जर अपने घर जाने लगी तो पद्माने उसे सब प्रकारसे सन्तुए कर अनुरोध किया कि मेरे लड़की होने की बात किसीसे मत कहना । राजा मलयगितको अगर यह सूचना मिलेंगी तो वह तत्काल मेरी बेटीको मँगा भेजेगा।

चमारिनने उस समय ती 'हाँ' कर दिया, पर घर पहुंचते ही उसने अपने पतिसे पद्मावे लडकी होनेकी बात कह दी और यह भी कहा कि उन्होंने यह बात किसीसे बतानेको मना किया है।

सुनार चमार बोला-इस बातको तुम दो चार महीने भले ही छिपा लो किन्तु जिस दिन बच्ची परसे बाहर निस्ठेगी, उस दिन तो राजाको उसमी सूचना मिल ही जायेगी। और तब वह मुझे बुलाकर पूछेगा। उस समय तुम क्या उत्तर दोगी ? तुम्हारी तो दुर्दशा होगी ही, मेरी भी जान जायेगी।

पल्त उसने तत्काल गजाको सूचना दे दी कि महरके घर लड़की हुई है। राजग्ने समाचार पाते ही लहको नाम लिए सिपाही भेजा 1 सिपाही द्वारा आदेश सुन कर महरा स्वय मल्यागतवे दरवारमें पहुंचे और सिपाही भेजनेका कारण पृा। राजाने जब बताया कि तुम्हारी रुटको लानेके लिए सिपाही गया था तो महराने पूछा~यदि मैं अपनी बेटी अभी आपरे पास मेज, तो आप उसरे देसभालकी व्यवस्था किस प्रकार करेंगे।

राजाने उत्तर दिया-मैं उसे अपनी रानीका दूध पिलाकर राँगा । यही हो जायेगी तर मैं उससे विवाह कर देगा।