पृष्ठ:चंदायन.djvu/३६८

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उन्होंने सूचना क्रायी। इन्द्रने जगार भाग्यो वुल्वाया । भाग्यने उनसे मजरी के समन्धमे पृछा । इन्द्रने अपनी पोथी सोल पर देखा लेकिन उसमें मरीरे विवाह की यात वहा नहा लिपी थी। अत उन्होंने कहा--गुरु वशिष्ठरे पास जाओ । शायद उनकी पोथीमें कुछ लिसा हो। भाग्य तर वशिष्ठरे पास पहुँचीं। उन्होंने अपनी पोथी सोल्कर देगा . और बताया रि मजरी विवाह पश्चिम देशमे होना लिसा है। वहाँ गायीं ओर मुरहा और दायीं ओर गगा बहती है। उसके आगे देवहा नदी है। जहाँ तीनॉग संगम है, वहा बारह गॉवाका गौरा गुजरात नाम प्रदेश है। यहाँ काका रे नामा एक कनीजी ग्याल रहता है। उसने दो पुन है । बड़का नाम सँवर है, उसका पाह मुरौलीमे राजा रामदेवको लडकी मदागिनसे हुआ है। छोटेका नाम लोरिक है, वह अभी मॉरा है। उसी साथ उसका विवाह होगा। उसकी झोपडी टूटी हुई है, दरवाजा गिरा हुआ है, उसने दरवाजेपर अशोरका पेड है। उसीरे निफर राजा सहदेव भी रहता है। उसमें दरवाजे पर पानी वाला दुआ है । उसने दालानमें पीतल व सम्भे लगे हुए हैं, उसरे दरवारमें सोनेरे चैमर लगे है और छतपर सोनेरे मेरे पेटे हुए है, चाँदीरी सिवियाँ और दरवाजे लगे है उसपे भी एप कुँवारा लडका है। धोखेसे उसने साथ मजरीश तिलक न चढ़ जाये, इस यातरा ध्यान रसना चाहिए। यह मुनर भाग्य मृत्युल्गरम गगावे पास पहुंची और बोली-मजरीमी विवाह लिसा हुआ है। यह मुनार गगाने कहा-तुम मेरे साथ चलो। ये दोनों मजरे पास आयीं और उसरे निस्ट बैटपर उससे उसरा दुग पृटने लगी। मजरीने कहा-तुम लोग मेरा दु स पर क्या करोगी? उहोने उत्तर दिया-हो सकता तो हम तुम्हारा दुरा दर परने में सहायक हो। तर मजरीने अपनी सारी विपत्ति पथा कह सुनायो। मुनगर गगा तो चुप रहों, लेशिन भाग्यने उसका आँचल सीव कर उस पर ये सारी बातें लिंग्य दी, जा पशिइने उनसे कही थी। पिर वे दोनों उटी और थोडी दूर जाकर अन्वयान हो गया। उनरे चले जाने पर मजरी अपने जाँचल्की ओर देगने लगी। उग पर गौराका सारा वृतान्त लिगा पार बद रहुत प्रश्न दुई और अपने घर सैट रायी। मुबह होने पर यह मारे पास गयो और बोली-पहनेमें वो सोच होता है, रेकिन बिना यह हुए वायरी सिदि भी नहीं हो सस्ती। आप यहती हैं कि नाई माझग देश भरम पोजर परेशान हो गये मेरे योग्य कोई वर ही नहीं मिग। रेविन मेरे योग्य पर है। अगर आप कहें तो मैं उसका पता बताऊँ। यह मुनकर पद्मा बोली-अगर तुमने अपने मनरा कोई वर पसन्द पर लिग