पृष्ठ:चंदायन.djvu/३७०

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३६२ जाऊँगा। जब वहाँ पहुँच जाऊँगा तो वहाँसे मैं गुल्लीको पीछेको ओर मागा यस, आप अशोरसे पेडरे नीचे एक जाइयेगा । इतना कहकर लडकेने गुल्लीपर चम्पा मारा और मारते ये घरी ओर बदा । शिवचन्द भी अपने आदमियोंरे गथ उसने पीछे पीछे चले। के दरवाजेपर पहुँचते ही रुडपेने गुल्लीको पल्टयर चम्पा मारा और मारता मारता अपने स्थानपर लेट आया । इस तरह शिवचन्दने देथे घरवा पता पा लिया। वलुत वह वैसा ही था जैसा मजरीने उन्हें बताया था। इतनम ये ग्वाल घरसे बाहर निकले और देखा कि कुछ आदमी अशोर नीचे सडे हे। पास जाहर पृछा-आप मकान कहाँ है और आपविघर जा रहे हैं । शिवचन्द ने अपना अभिप्राय यह सुनाया। शिवचन्दकी यात मुनपर दूधे प्रसन्न हो गये और तिल्क्वालोमे दहरनेका प्रबन्ध करने लगे। परा कम और पौदोंका पुआल लाकर अओर नीचे विठा दिया, और फूटे घड़ेमें पानी और टूग हुआ हुपा लार रख दिया। शिवचन्दसे बोले-हाथ पैर धोकर जल्पान कौजिये। मटरेसे उलाता हूँ। अगर यह आपको पसन्द आये तो आप तिलक चदाइये। शिवनन्दने कहा-मिना ल्डया देसे मैं कुछ न फलंगा। यह सुनकर चेने अपनी पत्नीको बेटोको दुलालाने लिए भेजा। माँसी यात सुनकर संवर, लोरिव और मिवारजदर तीनों गौरायो और चल पड़ । र घर पहुंचे तो तिल्पवाले उन तीनोको बड़े ध्यानसे देखने लगे। तीनों एक ही सरीखें लग रहे थे अतः उन्होंने वरो पहा-मुझे तीनो ही आदनी एक्से जान पड़ते हैं। इसलिए मल्डको पहचान नहीं रहा हूँ। तब ने उनका परिचय कराया। शिवचन्दयो एडया पसन्द आ गया और उन्होंने तिलक चढानेका निश्चय पिया। चेने गाँव भरो निमन्त्रण भेज दिया । जब इसकी सूचना राजा सहदेवको मिली तो उन्होंने धनुआ दुसाधयो बुलाकर यह टिंदोरा पिटया दिया कि कोई पर घर सजायेगा, उसये ल्ड पचाकी सारी भूसा भर दिया जायेगा। दिडोरा मुनकर पर घरसे निमन्त्रण वापस होने लगा। यह देसर सँबरु यात मुद्ध हुआ और गोला-च्छा तो होती है कि सहदेवरे गमे युसर उसे मार डा, रेक्नि दशी अवसरपर दुसद स्थिति पैदा नहीं करना चाहता, इसीसे मुझे चुप रह जाना परता । दूसरे, पर अपना राजा ई नही तो अभी उसरा सिर काट डालता। इस प्रकार सित होकर यह सारी व्यवस्था करने लगा। उसने मितारजइल का दोनी पनिपोचो बुलाया । सदरूपी स्त्री और माँ एलाइनने टरेको नहला धुगर पपडा पहनाया । सारी व्यवस्था हो उनेर तिलायाले आँगनमें आपर भै और पटितने शिल्लका सारो व्यवस्था की सिचदने तियरा सारा सामान चयम रखवाया। वियों गिरकर माल्चार करने लगी। उनकी सदापरे लिए स्वर्गमे चौसठ योगनिभानी और वे भी गाने लगा। चारा खिमांगे राग उटाता उस