पृष्ठ:चंदायन.djvu/३७५

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३६७ अतमें जब सवरू पुल परसे जाने लगा तो भीमल बोला-मैने पुल कमजोरोंके लिए बनाया था, वीरोंके लिए नहीं 1 यदि आपमें बल हो तो उछलकर सोनपीको पारवर जाइये। तभी मुझे विश्वास होगा कि आप अगोरियाम जाकर विवाह करेंगे और गैरकर मेरा खेवा देंगे। इतना सुनना था कि सॅवरू पुरुपरसे उतर गया और पाच कदम पीछे हटकर उसने उलाग मारी और सोनपीको पारकर गया। पार पहुँचकर उसने अपने पैरके अंगूठेसे सारी नाबोको सोनपीमेटबो दिया । फिर भीमल वोला-मेरी शत्ति देख ली। भीमल हाथ जोटवर बोला-आपकी शति देस ली। आपने तो मेरी सारी नावोको ही डुबा दिया। मेरे लिए यही एक सहारा था, अब तो मेरे बाल बच्चे भूखों मरेगे। मैं आपसे खेवा नहीं चाहता। आप केवल हमारी ना निकाल दें। यह सुनकर सवस्ने अपने अगूठेके बीच में नाचोकी रस्सी पकड़कर खींचा और नावे फिर ऊपर आ गयीं । बारात आगे चली। अगोरियाली सीमा पर पहुँचकर बारात रुक गयी । सँवर और मिताने बाजा- थालेको ऐसा बाजा बजानेका आदेश दिया कि सारे अगोरियामे सबर हो जाय कि विवाह के लिए बारात सजाकर अहीर आ पहुँचा है। इतना सुनना था कि बाजा वालोंने बाजा बजाना शुरू किया। बाजेकी आवाज जसरिया वनमें सुनाई पडी तो महरा चरवाहेने, जो वहाँ सोलह सौ गायोको चरा रहा था, अपने साथी धुरर्दसे कहा-शुभवे दिन मेरे मालिकके दरवाजे पर बारात आनेवाली थी। गाँवकी सीमा पर बाजीका झकार हो रहा है। चलो देखा जाय कि बारात मालिकवे यहॉ ही आयी है या किसी अन्यो यहाँ। वह बारातरे निस्ट जा पहुंचा और घूम घूमकर बायत देखने लगा। देखते देखते वह वहाँ पहुँचा, जहाँ सँवरू, मिता और लोरिक बैठे हुए थे। यह उन्हासे पृरने लगा-बारात कहॉसे आ रही है और विवाह करने कहाँ जायेगी। जब उसे मालूम हुआ कि बारात उसीके मालिक यहाँ आयी है तो धड् आश्चर्यचक्ति रह गया। वह तत्काल महरारे पास पहुँचा। शिरचद और महरा, दोनों बैठे हुए थे | उनसे योला-मजरीका तिलक चढाकर जब मामा गौरासे सैटे तो कह रहे थे कि गॉवये रोग उनके विरुद्ध है, उनके साथ बारातमें योई न आयेगा। कुल तीन ही वागती आयेगे। लेकिन बारात तो ऐसी आयी है, जिसका वर्णन नहीं । आपने तो उनके अन पानीकी कोई व्यवस्था की ही नहीं है। ___ यह सुनचर पद्मा तो हर्षित हो उठी कि मेरी बेटी मजरोरा भाग्य धन्य है। लेक्नि महरा मनियार सुनकर क्रुद्ध हुआ और शिवचद से बोला- हमारे साथ धोसे बाजीकी गयी है । वहा बारातमे वेचल तीन ही यादमी आयेंगे और आये है इतनी वटी सेना लेकर उन्होंने मेरी प्रविष्ठाका तनिक भी ध्यान नहीं रणा । यह मेरे हितरी, नहीं शत्रु हैं। अब मैं यहाँसे प्रबंध करूँ, वैसे इतने लोगोंवे लिए खाना जुटाऊँ ? उन्होंने जिस तरह हमारे साथ धोसा किया है और उसी तरह हम भी उनके साथ