पृष्ठ:चंदायन.djvu/३८५

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छाजन नीचे गिर पड़े। इस प्रकार राजाके मकानोंको गिराता हुआ लोरिक जर आगे बढा तो उसने देखा कि एक घिसार टॅगा हुआ है, जिसमें लिखा था कि चौसापर बिना हमसे लड़े और हमें बिना पराजित किये जाओगे तो मैं यही समशूगा कि तुम डरकर भाग गये। उसे पढ़कर रोरिकने चौसा पहुँच कर रुक्नेका निश्चय किया। जर महराने देय लिया कि लोरिक और मजरी नगरसे बाहर पहुँच गये, तो वह अपना वचन पूरा करनेके लिए राजाके यहाँ पहुँचा। बोला-बेटीका विवाह पर मेरी जाँघ पवित हुई और मेरा वचन भी पूरा हो गया। अब यदि आपमें शक्ति हो तो कोरिकको मार कर सहर्प मजरीका डोला अपने घर ले आयें। यह सुनकर मन्लयगितने पानवा बीडा रया और घोषणा कर दी कि जो वीर बीरा चबारेगा, उसे डालभर सोना इनाममे मिलेगा । महराके दामादको मार कर मजरीको गढमें लानेपर उसे आधा राज्य दिया जायेगा। यह सुनकर दुबरी पण्डितको लाल्च हुई और उन्होंने पानका बीड़ा उठाकर सा लिया और बगलमै पोथी-पत्रा दाय कर चौसाकी ओर चले। नगरसे बाहर आते ही लोरिककी नजर उनपर पड़ी और उसने मजरीसे कहा-एक आदमी अगोरियासे आता हुआ जान पडता है । जरा देखो तो कौन है। मंजरीने देसकर कहा-यह तो विवाह कराने वाले पण्डितजी हैं। मालूम होता है जेटजीने उनकी कुछ दान दक्षिणा रोक ली है । हो सकता है और कोई दूसरी ही यात हो। आ रहे हैं तो उनका आदर-सत्कार कीजिये। जय पण्डितजी निकट आये तो लोरिकने उन्हें प्रणाम पिया । पण्डितजीने आशीर्वाद दिया । लोरिकने कन्धेमे चादर उतार कर बिछा दिया और बैटने के लिए कहा । कुशल क्षेम पूछनेपर दुवरी पण्डितने कहा-घरपर तो सब कुशल है। इस समय मैं तुम्हारी ही कुशल कामनासे आया हूँ। तुम एक स्त्रीके लिए नाहक अपने प्राण दे रहे हो। तुम्हारे विरुद्ध मलयगितने अपनी वेशुमार पोज खड़ी कर रखी है और वह अपने सब नाते-रिश्तेदारों के पास सबर भेज रसा है। नौगढके तोपदारको अपने रिलेमें बुलाकर रख छोटा है। मेरा कहना मानों, मजरोको छोड दो। मैं उसे मलायगितके दरवारमे पहुँचा आऊँ। तुमको उसके दूने चजनके बराबर धन तोल कर दिलवा दूंगा। तुम गोरा वापस जाकर दूसरी शादी कर लेना और उसी स्त्रीको मंजरी समझ लेना। इतना सुनना था कि लोरिक जलकर अगार हो उठा। चोला-मलयगित- का मुझे तनिक भी डर नही। उसके घरको मैं गिरा थाया, उसकी पोज मैंने मार डाली और उसके देखते-देसने अपना डोला चौसाके किनारे तक ले आया । बर तक मैं कभीवा गौरा गुजरात जा चुका होता, लेकिन उसका धिकार मुनर का हुआ हूँ। मल्यगित गर्थको तोडकर ही मैं यहाँसे जाऊँगा। राजाके गढ़मे जो मी रहू. बेटी हो, उन्हें यहाँ ले आओ और उनके वजनता दूना धन मुससे लेकर शाओ। मैं