पृष्ठ:चंदायन.djvu/३९०

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लोरिकन उत्तर दिया-मल्परित्ने दात परकर की है। यदि दुन सके तो मजये तुम्हारी पत्नी हो जायेगी। इस प्रकार उसने व रहते धर्म न करने पटपत्र दिया है। से हो निल साडने दो । उसंदेगा स्सग नहीं कर तो मैं मरूपरितको हो मार डालेंगा। इटा पर लोरिषने सत पुरता उल्कर निगूर उस्सा लिया मह देखते ही मत्पगिव डरा-गैर भाग निकला। रोरिक्ने उमापोगा कियामगर रनिवासमें धुत हो या कि लेखिने अपनी साँट चलापी, वह वहीं देर हो गया। ___उसरे दाद वे लोग महराने पर पहुंचे। दूसरे दिन मजरोको दिदा राके लेग पर नेट आरे। जिन दिनों लोरिक अगोरिखाने मरीते विवाह करने गया हुनासा, दी दिनों, सहदेवने चदारे विवाहली पारी की और सिलहटने शिवधर २१ विक चदा दिला । निश्चित समय पर वारात आपी और विवाह परारक चली गयी। वे लोग चन्दाशे छोड गये कि गौने समपले पायेंगे। शिकार महावीर या । एक दिन उसने दूध पोकर दोना कि दिदासी राजे शिवजोरा रहे थे। दोन्में दूधरा फेल ला देसकर उनका मन हलच उसा कर उनते रहा न ग्या। उन्होंने उसे वार चार लिया। कैलास काकर जब वे पाचन साथ रमा करने लगे तो वे परेशान होकी, पिर भी शिक्कोस्प नहीं हुआ। पा ने इसका कारण पूछा तो शिवतीने कपने दोना चाटनेकी दातमा नुनायी। जर पार्वतीने यह नुना तो सोचने लगी-जिन पुरुपके दोन्न चाटने वारण मेरे पति इस प्रकार कामावर होते हैं तो वह जिस की पति उसको न पाने क्या गति होती होगी। यह सोचकर पार्वतीने शिवधरको दार दिला, जिससे वह काम रहित हो गया। शिवपर चदाको गैना पराकर अपने पर ले गया तो उसने देश कि दिवार कमां घर नहीं आता, सीसा हो उस लिए भोजन बनाकर नितान में ले जाती है। उसरे मनको उमगे मनमे ही पुटकर रह जाती थी। अटकन उसने व मोल्न जानेका निम किया और अपने मनी बात सस्ते 40l सारुने मांजन रे चान्वी अनुमति सदप दे दी। वह सम्पूर्ण गार कर मंजन कर ली। जब पान निकट पहुंची है उसकी नूपुरको स्वारसे ग दिसायद देख शिवचरने सोचा कि कोई ना दोनो स्वर चला आ रहा है, जिसकी येनार गा मारा है। नोटमा दृष्ट चन्दापर पटीने देखते ही वह अपनी बाटा परमपन्त दुसी हुा । सिन मन रिता प्रसार मने मोन रिसा। मोन रानादमी चन्दा शिका वाने की विपिने रसने बात तकनीकी तब ऊने रिपरको