पृष्ठ:चंदायन.djvu/३९२

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३८४ र चदाने वटवाको पीछा करते हुए आते देखा तो पास ही चपन वाले चरवाहको देसवर बोली-तुम मेरे धर्म के भाई हो। चमार मेरा पंग कर रहा है। उसे मत बताना कि यहाँसे में गयी हूँ। ___ इस प्रकार रास्ते जितने लोग मिले तपसे विनय करती हुई वह आगे पढने गयी और शीघ्र ही वह गौरा अपने महल्मे जा पहुंची। ___यठवा भी उसका पीछा करता हुआ गाँवमे पहुँचा और गाँव लेने बरने लगा-चदासे मेरी शादी करा दो।। रेकिन किसीने उसका उत्तर न दिया। राज सहदेव भी उसको आते देख बहुत पराये और महलगे हिप रहे। बाहर न निकले। परिसीने उसकी बात न सुनी तो उसने गायोंकी हड्डी पट्टी की और गाँव सभी दुओंमें टाल दी। इस प्रकार दुओंको भ्रष्ट पर उसने सर पनपटो रोप दिया, येवल उस कुएँको अच्छा सोडा जिसका पानी मिता और लोरिक भरते थे। इस तरह पानीका अभाव कसे पटवाने गाँवके सभी लोगोंको परेशानी में डाल दिया। उन्हें एक बूंद पानी मिलमा कान हो गया। जब बुढ़िया खुल्इन अपने कुएंसे पानी भरकर मकानकी ओर जाती टो गौरा स्त्री पुरुप रास्ते उससे माँगर पानी पीते। इस प्रकार बीचमे ही उस घड़का पाने समाप्त हो जाता। निदान वह दुबारा पानी भरने आती। इस तरह बार-बार पान्ने भरते भरते जब वह थक गयो वो मजरी पानी भरने आयी। व वह पानी भरकर गाँवमें घुसी तो लोग पानी लिए दौड़े। पानी बाँटकर वह दुवारा कुएँ पर आयी। इस बार प यह पानी भरने लगी तो वठवाने, जो अर वर चुपचाप बैठा था, मरते पहा-तुम मेरे गुल्माई की पत्नी हो । नाहक शगुता मोल ले रही और मेरे कामने विप्न टाल रही हो। मजरीने पृछा--तुम्हारे सि धाममे विघ्न डाल रही हूँ ! मैं तुमसे फौन-सी तक्रार कर रही है। पाट्याने उत्तर दिया-नुम गौयम मेरा विवाह होना रोक रही हो। गाँव लोग चदासे मेरा विवाद नहीं पराते, इसलिए सब लोगोंको मैं बिना पानी मार दारना चाहता हूँ। लेकिन तुम पानी भरपर उनको घाँट रही हो । इस बार पानी रेग रही हो वो रे जाओ पिर लोटपर मत आना। यह मनपर मजरी सुपचाप चली गयी और लोगवो रि पानो बाँट दिया। जर वह पुन. दुऍकी ओर लौटी तो यठया उठ सडा हआ और योला-मैं तुम्हें पानी मरने नहीं देंग । यदि तुम सीधे नहीं मानोगी तो टोरी छीन लूंग। इतना सुनना या किमबरी आग पहला हो गयी। उसने डोरी दुएम पंक दी और दोनों घडोंको धुएँ पर पटक दिया। वह रोती हुई पर पहुंची। सुन्दानम बोली-पतिप रहते मेरा अपमान हुआ है। पर सायर मर गाउँगी। पटवान