पृष्ठ:चंदायन.djvu/३९४

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३८६ उसे उठाएर लोरिक ऊपर देखने लगा। चदाको देखते ही वह साना भूट रस और पानी पीने के बहाने बार-चार ऊपर देखने लगा। ज्योनार समात होने के बाद वह घर आकर अपनी माँसे पोल-सहदेव घर ज्योनार अच्छी नहीं थी। योडा चना दो। चना लेकर वापरते बार निकला और गाँवके दो चार सदों को साय वर गल्में पहुंचा। टडकोने कोन- धुरा करवाकर एक बरहा (मोटी रस्सी) तैपार परवासी । उते रेकर वा ग ट आया और उसे उसने अपने मित्र शिवचन्द्र कान्दूरे पर रख दिया। जब दाम हुइ और सर लोग सा-पीकर सो गये तो लोरिक परसे निकला और अपने मित्राने बरहा वर राजा सहदेवके मकान के पीछे का पहुँचा। मकानो झरोसके पास सई होकर उसने परहा ऊपर परा। उसकी आवाज सुनकर चदा नोंक उौ। उस्ने खिडकी सोल्कर नीचे देखा। लोरिक्ने यरहा रिर उपर का। चदाने उसे पकड लिया। जब लोरिफ उसरे सहारे उपर चटने लगा तब चदाको शरारत सूझी। उसने रस्सी छोड दो, लोरिक नीचे गिर पडा और गाली देने लगा। पिर बुछ रुककर दुबारा रस्सी पेवी और पोल-यदि इस चार तुमने रस्सी छोटी वो पिर पछताओगी। इस सार चदाने रस्मी लेकर खिडकीमे याँध दी और उसरे सहारे लोरिक स्पर पहुँच गया। रातभर दोनोंने आनन्द मनाया । मुबह होनेसे पहले ही लोरिक खिडकीसे उटर, रलो अपने मित्र घर रसकर, पर आपर सो रहा । यह प्रम दस-पाँच दिन चलता रहा। एक दिन चन्दाको नादरसे लोरिककी चादर बदल गयी। चन्दाको चार सिरपर बाँधकर लोरिक पर चला आया। सुबह जब मजरी आँगन बुहारने उनी दो उसकी नदर लगेरिखपर पड़ी और वर ठठापर त पढी। सासको दुलारल- जरा बाहर जाकर देखो तो। धोबीया दामाद आया है। रिपने जर यह सुना तो चादर उठाकर देसा, पिर पोछे हटकर मितापे पर मागा। वहाँ जाकर मिलाकी पत्नीसे पोला-आज तो मेरी बेइज्जती होना चाहती है। गवमें चन्दाफे पर ग्पा था; वहाँ मेरो चादर यदल गयी। ऐसा उपाय यरो जिससे वो असली पात न मानने पाये । यह सुनकर मितारी पत्नी बिरला उठी। उसने चादरको रेसी। उसको साकायदे तह र इस्त्री की और रि महल्की और चल पड़ी। रातभर जागने कारण चन्दा अल्स नीदमे सोयी थी। त्य मुनिया रासी उसे उगाने आयी तो उसरे पास उसने रोरिषदी चादर पडी देखी। उसने चन्दाका महसूसा और गार विषय हुआ देखकर वह रानी पास पहनी और पोली- पान परता है कि नन्दानी पिसी पुरषसे भेंट हुई। उसकी स्थिति जो है सो है हो, उसका प्रमाण भी पल्गरे पास पना है। यह मुनवर चन्दारो मौ उसके पास पहुंची और पूछा- रात पौन आपापा। चन्दाने उत्तर दिया-मैंने अपनी चादर घुलाने रिए भेी दी। घोस्नि उसे धोकर देसे दे गयी। मैं रातभर उसे भोदे रही और मुराद तह पर सिरहाने रस दिया । पता नहीं वि चादर पिम तरह बदल गयी।