पृष्ठ:चंदायन.djvu/३९९

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३९१ बिहिया पहुँचे । उस समय पहर भर रात बीत चुकी थी। अत वे एक पक्डीके सूखे पेडके नीचे रुक गये। लोरिकने कहा चल्ने चल्ते मैं थक गया हूँ जरा मैं सोलू। इतना कहकर वह वहीं चादर तानकर सो गया। सोते ही उसे गहरी नीद आ गयी । चन्दा भी यहीं पासमें लेट रही और उसे भी नीद आ गयी । उस पकडीके पेड़के पास एक साँप रहता था। वह साँप अपनी बिल्से निकला और निक्लकर उसने चन्दाको काट खाया। जब सुबह हुई और लोरिककी नीद टूरी तो वह उठा और चन्दाको जगाने लगा । लेकिन जब यह नहीं जगी तो उसने ध्यानसे देखा और पाया कि यह तो मर गयी है । वह रोने रुगा। चन्दाके वियोगमे यह पागल हो उठा और खीझकर सूखी हुई पकडीके पेडके चारों ओर घूम घूमर उसे काटने लगा। आने जाने वाले लोगोंको उसकी यह अवस्था देखफर कौतूहल हुआ। वे उसके चारों ओर एकत्र हो गये और उससे इसका कारण पूछने लगे। लोरिक रो रोकर अपनी सारी बात कह सुनायी और कहा-इस लकडीकी चिता बनाऊँगा और अपनी पत्नीके साथ सती हो जाऊँगा। यह मुनकर लोग हँसने लगे। बोले--पागल हुए हो। स्त्रीको तो पुरुषक साय सती होते देखा है, लेकिन स्त्रीके साथ किसी पुरुषके सती होनेकी बात नहीं सुनी गयी। पेड़ पर एक साँप रहता है, उसीने उसको काट लिया होगा। नगरमें बहुतसे गुनी हैं सो तुम जाकर पुकार करो। किसी गुनीये कानमै आवाज पहुँचेगी तो वह साँप काटनेकी बात सुनकर दौडा आयेगा। लोरिकने नगरमें जाकर पुकार की। उसकी बात सुनकर गुनी लोग एकत्र हुए। उन्होंने दूध मँगाकर नादमें भरवा दिया और मन्त्र पढकर चित्ती कोडी फेंकी। चित्तो कौडी जाकर साँपरे माथेमे चिपक गयी । साँप गुस्से मरा पकडीसे निकलकर चन्दा पास आया। उसे देखते ही लोरिक खड्ग रेकर मारने दौडा तो साँप चिलमें फिर घुस गया । गुनी शेगोके तरह तरहके उपाय करने पर भी जब वह न निकला उब उन्होंने लोरिक्से कहा कि तुम्हारे डरसे साँप नहीं निकल रहा है। जब तक तुम यहाँ रहोगे, साँप यहाँ नहीं आयेगा। समझा बुझाकर उहोंने उसे यहाँसे हटाया वर साँप बिल्से निकलकर चन्दाके पास गया और अँगूठेसे सारा विष खींच लिया और विषको दूधमे छोडकर पकडीने पेड में समा गया। चन्दा मा नाम लेजी हुई सड़ी हुई। लोरिकने गुरियों के प्रति कृतज्ञता प्रकट की। गरिक जर आगे चलनेको उद्यत हुआ तो चन्दाने कहा- इस बिहिया बाजारका राजा रणपाल है। उसने रणदेनिया नामक एक दुसाध रख छोडा है, जो राह चल्दों मे छेडकर रार मोल देता है। इसलिए इस रास्ता छोडकर बगल के रास्ते चलो। यह मुनवर लोरिक बोरा-तुमने दुसाध रणदेनिया और राजा रणपाल्की