पृष्ठ:चंदायन.djvu/४०१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

आगे चल्नेपर चन्दाने कहा-सडकका रास्ता छोडकर सेतो रास्ते चलो। आगे सारगपुर गाँव है, वहाँ महीपति नामक जुआरी रहता है, जिसके साथ तीन में साठ और जुआरी हैं। अगर उस रास्ते चलोगे तो वह तुम्हारा सारा धन जीत लेगा फिर हमारे पास रास्ते के सर्चका अभाव हो जायेगा। चन्दाकी यात मुनकर लोरिकने कहा- तुमने महीपति जुआरीका बसान क्यिा । अब तो मैं जरूर उसका करतब देखूगा । और यह महीपति जुआरीके घरके पास पहुँचा। जुआरियों ने उसे देखते ही घेर लिया और बोले--इस रास्ते जो भी जाता है, उसे एक दोव जुआ खेलना पडता है । अत जुआ रोलकर ही आगे जा सकते हो। इतना सुनता था कि लोरिकने चदाको तो एक येथे नीचे बैठा दिया और वय महीपतिके सग जुआ खेलने बैठ गया। रोल्ते सेल्ते लोरिक अपना सारा धन, वस्त्र, हथियार, सब कुछ हार गया । अतमें उसने चदाको ही दावपर लगा दिया और उसे भी हार गया। तब महीपतिने पासेको एक ओर रखकर लोरिकसे कहा-अर मुँह क्या देखते हो। अपने रास्ते जाओ। और अपने आदमियोंसे कहा कि चदाको महल में पहुँचा दो। जब महीपतिके आदमी चदारे पास पहुंचे और उससे लोरिक्के हार जानेकी बात कही तो यह महीपतिके पास जाकर बोली-अभी एक दाव सेल्ने उपयुक्त मेरे गहने बचे हुए हैं। अत तुम पहले मेरे साथ एर दाव सेरो। वह पेल्ने बैठ गयी । खेलते-खेलते उसने लोरिककी हारी हुई सभी चीज जीत ली और फिर महीपतिका सब कुछ जीतकर सारगपुर गाव भी जीत लिया। फिर लोरिक्से बोली-तुम्हारी इजत वच गयी। अब तत्काल हरदीके लिए चल दो । दोनों चल पड़े। उहें जाते देस महीपतिने अपने जुआरियोंको ललकारा कि जीती हुई स्त्री लिये जा रहा है। उसे मारकर छीन लो। यह सुनना था कि जुआरी रिकपर टूट पडे | रोरिक भी उनसे गुथ गया और थोडी देरमें उहें मारकर समाप्त कर दिया । जुआहियोको मारकर लोरिक चदाको लेकर आगे बढा । चन्दाने आगे आनेवाले गाव क्तलपुरको क्वगकर दूसरे रास्ते चरनेको कहा पर लोरिकने उसकी बातपर ध्यान नहीं दिया और चलता ही गया। जिस समय वे दोनों वतलपुरके निकर तालपर पहुंचे, दे प्याससे व्याउल हो रहे थे। वे वालायमें घुसकर पानी पीने लगे। इतनेमें तालाब पहरेदार्यने उहें देखा और तालाबको जुटा करनेके कारण उन्हें गाली देने लगे। गाली मुनकर लोरिक्को गुस्सा आया और वह पहरेदारोंको मारने लगा। पहरेदार मागकर राजाके पास पहुंचे। राजाने रिकको परास्त करनेके लिए सेना भेजी ! मगर लोरिक्ने सेनाको ही परास्त कर दिया । राजाने मागकर अपने गढ़ में शरण ली।