पृष्ठ:चंदायन.djvu/४०३

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वह तत्काल चलनेको तैयार हो गया। जा जाने लगा तो चन्दाने कहा- राजा जातिका तेली है, उसको कभी सलाम मत करना, और भूलकर भी उसके बायें मत बैठना । यदि इनमेंसे एक बात भी भूले तो तुम्हारे सात पुरसे नरकम पड़ेंगे। तदनुसार लोरिक जाफर राजाके दरवारमे चुपचाप खड़ा हो गया और फिर आसन उठाकर राजावे दाहिने जा बैटा । यह देखकर दरबारके सभी रोग सन हो गये । वे सब आपसमें कानापूसी करने लगे कि इसने सारे दरबारका घोर अपमान किया । मगर विसीको खुलकर कुछ कहनेका साहस न हुआ । अन्तमें मन्त्रीने होरिक्से गाँव घर पूछा। लोरिकने अपने गाँव घरका पता बताते हुए कहा-वहाँ दुर्भिक्ष पहा है। इसलिए यह सुनकर कि हरदीका राजा बडा धर्मात्मा है, वहाँ कोई भूखों नहीं मरता, जो भी आदमी दग्दीमे जाता है, उसके उपयुक्त यह काम दिया करता है, मैं यहाँ आया हूँ। राजाने यह सुना तो मन्त्रीको लगेरिकने उपयुक्त काम देनेका आदेश दिया। मन्त्रीने कहा-इसके उपयुक्त तो यहॉ कापी काम है। यहाँ छत्तीस वर्णके लोग रहते हैं । समीके घर गाय भैसे हैं। उनकी चरवाही यह कर ले । नगरके दक्षिण जो परती भूमि पडी है, उसीमे यह अपना छप्पर डाल ले और भैंसों के लिए स्थान बना ले । कोई इसे सत्त और कोई आटा दे देगा । बस इसका दोनों वक्तका गुजारा हो जायेगा । प्रति वर्ष गोवर्धनकी पूजा होती है। उस अवसरपर कोई गमछा और कोई पुरानी धोती दे देगा। उन्हें ओड जाडकर वह अपने पहनने लायक कपडा बना लिया करे। यह सुनकर टोरिकको हँसी आ गयी। रुमालसे हसी रोककर गम्भीरताके साथ गोल-मन्त्रीजी, आपने सोच समझकर ही मेरे उपयुक्त काम निश्चित किया है । किन्तु मेरी पत्नी धूप और हवा लगने मानसे कुम्हला जाती है। अत आप अपनी बेटी या बहिनको सुबह शाम भेज दिया करें, वह आकर गायोंको दुहा लिया करे । लेकिन अगर किसी भी गाया दूध बछडा पो गया तो मैं उसे मारे बिना न रहूँगा। अगर यह बात मजूर हो तो आजसे ही मैं हरदी की चरवाहीका मार उठावा हूँ। इतना कहकर लोरिक उठ सडा हुआ ओर चला आया। लोरिक चले जानेपर राजा मन्त्रीपर बहुत बिगड़े-तुम्हारी वजहसे हम सबको गाली सुननी पडी। उसके बगल्मे रसे हथियारकी ओर ध्यान न देकर तुम उसकी जातिपर गये । उसे हम अपना ड्योढीदार बनाकर रखते । जब कभी समर आ पडता, उस समय वह हमारे काम आता। खैर, उसे बुलाकर तुम गेडुआपुर मेज दो, वहाँ वह गजमीमत के साथ असाढ़ेमे रखेला करेगा। दूसरे दिन रोरिक स्वय भीमल के अखाड़ेकी ओर चल पडा । रारतमें नदी पड़ी तो उसे उसने कूद कर पार किया। असा पर पहुँच कर उसने अपनी खाँड असा के बाहर ही रस दी और भीतर जाकर अखाड़े खेल्नेकी इच्छा प्रकट की। ___ भीमलके शिष्य रजईने कहा-पहले गुरु पूजाकी व्यवस्या परो तर पीछे सेलना।