पृष्ठ:चंदायन.djvu/४१२

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४०४ तक हमारे देखनेमें नहीं आया । बहेडा (जिला दरमगा) निवासी राजकिशोर वर्मा ने हमें सूचित किया है कि यह क्था मिथिलामें लोरिकानि अथवा महरायके नामने प्रसिद्ध है । इस कथाके सात सण्ड है और एक एक सण्ड आठ आठ घण्टेमें गाये जाते हैं। इसके एक सण्डका नाम चनैन खण्ड है। चन्दायनकी क्या इसी खण्डसे सम्प रखती है। अत उहोंने हम केवल इसी सण्डका साराश लिख भेजा है। वह इस प्रकार है- ___ अगौरा नामक गाँव राजाका नाम सहदेव था। उनपे हल्वाहेका नाम कुबे राउत और हल्वाहेकी पत्नीश नाम खुल्न था। उन दोनों लोरिक और साँवर नामक दो बेटे थे । लोरिक बडा और सॉवर छोटा था। ये दोनों सिलहट असाड़ेपर कुश्ती रोला करते थे । लोरिक अत्यन्त वल्वान और विशालकाय था । उसकी तलवार अस्सी मनको थी । उसके तीन साथी थे--राजल धोबी, बण्ठा चमार और यारू दुसाध। गौरा नामक एक दूसरे गाँवका राजा उधरा पैयार था, जो अत्यन्त अत्याचारो और चरिनहीन था । उसये राज्यको प्रत्येक नवविवाहिताको, विवाहके पश्चात पहली रात उस पँवार राजा साथ बितानी पडती यो । उसी गाँवम लारा गायोंको स्वामिनी पद्मा मौहरि रहती थी। उसके माँजरि नामकी एक अत्यन्त रूपवती बेटी थी। उधरा पँवारकी ऑसे उसपर लगी हुई थी। वह इस प्रतीक्षामें था कि उसका विवाह हो और वह उसकी अवशायिनी यने । अन्त तागत्वा माँजरिका विवाह लोरिक साप निश्चित हुआ और लोरिक अपने पीर पिता और योदा माथियों के साथ मार्गमें अनेक युद्ध जीतता हुआ गौरा आया । धूम धामप साथ उसका विवाह माँजरिये साथ सम्पन्न हुआ। तदनन्तर पँवारने लोरिकको मारकर माँजरिको छीन लेनेके अनेक प्रयत्न किये पर वह सपल न हो सका और गरिक हाथा मारा गया। लोरिक विपुल धनराशि प्राप्त पर अपनी पत्नी मारिष साथ अगौरा लौट आया। भगीरापे राजा सहदेवपे चनैन नामक एक रुपती पुनी थी । उसका विवाह शिवधर नामक राजकुमारसे हुआ था। यह बहुत चली था। एक दिन जब वह सहा होकर मूत्र त्याग कर रहा था, उसी समय इद्र आकारा मार्गसे जा रहे थे। मनप कुछ छोटे उनपर जा पड़ । परत इन्द्रने मुद्ध होकर शिवधरको नपुसक हो जाना शाप दे दिया, और यह वाम शरिसे रहित हो गया। अपनी इस अवस्थासे दुग्पी होकर शिवधरने पर त्याग दिया और दवा नदाये तटपर फुटी पनापर रहने लगा। वहीं रहकर पर अपनी लास गायाको चराया परता। चोग पर यौवनावस्थाको प्राप्त हुई और शिवधरको अपनी ओर आए हाते न पाया तो यह स्वय एक दिन सोलहो भगार पर उसको पुटीपर पहुंचा। १ चनेनको पति नपुसपनारे म पारम्दीमाल भाजमग मुसराम सिंहसे भी मोहनी भी। उममे जान पातारेमि भोजपुरी क्षेत्ररे भी कुछ भागमें प्रथाका पर स्पप्रचरिता