पृष्ठ:चंदायन.djvu/४१७

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४०१ गया और चन्दैनीको गालियां देने लगा। तब च दैनी ठण्डा पानी ले आयी और बावनवीरने पैर धोया और उसकी सराहना की। उसके बाद चन्दैनी खाना बनाकर लायी। उसने उसे बड़े मेमसे सराह सराहकर खाया । खाना खाकर दूध दुहनेके लिए उठा । पर अचानक ही वह बिस्तर बिछाकर सो गया। चन्दैनी घरके काम धन्धेसे छुटी पाकर तेल लेकर अपने पति के पास गयी। उसके हाथको अपने हाथमे लेकर तेल लगाने लगी। बावन जाग उठा और नागते ही उसने चन्दैनीको एक चाटा मार दिया। चन्दैनीने सोचा कि नींद में अनजाने ही मार दिया होगा। अत पिर मलने लगी। तब बावनने उसे हात मार दिया और वह मुंहके मल जा गिरी। सारा नेल दुल्क गया। वहीं पड़े-पड़े चन्दैनी सो गयी और उसे पता भी नहीं चला कि कब सबेरा हुआ 1 सुबह उठकर उसने अपनी ननदसे कहा कि मेरा भाई महन्त बीमार है, उसे देखने जाऊँगी। तुम चुपकेसे मेरी साडी उठा राओ । चन्दैनी अपना कपडा लेकर चुपके से घरसे भाग निकली। घने जगहमेसे होकर जब वह जारही थी तो रास्ते में उसे लकडी काटने के लिए घूमता हुआ वीर बठवा मिला। चन्दैनीको देखते ही बोल उठा-मौजी वहाँ जा रही हो ? चन्दैनी सोचने लगी कि कभी तो वह इस तरह नहीं पुकारता था। सदा मैं उसकी भाई बहू ही रही, आज यह भौजी क्यो कह रहा है । कुछ दादमें काला अवश्य है। किस तरह इससे मैं अपने आपको बचाऊँ। कुछ सोचकर उसने सिर कपर उठाया। जामुनसे लदा पेड देकर बोलदेवर मेरे, तुमसे क्या कहूँ । जामुन खानेकी इच्या हो रही है। थोडेसे ताड़ लाओ। पीछे हम दोनो हसी-मजाक करेंगे। वीर बटवाने आव न देखा न ताव, चट पेडपर चढ दी तो गया और लगा जामुन तोड तोडकर गिराने। पर चन्दैनी सयानी थी, बोली-में इतने नीचे लगे जामुन नहीं खाती, इसे तो छोटे-छोटे चरवाहे भी तोड ले जाते हैं। ____ तब बठवा और ऊँचे चढ गया और अच्छे-अच्छे पल तोडने लगा। तब चन्दैनी बोली-मेरे अच्छे देवर, जरा अपने कमरमें पॅधी छुरी लो गिरा देना । मैं पलको काटूंगी। बठवाने अपनी धुरी गिरा दी। चन्दैनौने अपने कपडोंको कसकर बाँधा और चावूसे कटीली झाड़ काट काट कर पेडके चारों ओर चुन दिया और माग चली । भागते भागते वह गेहूं के खेको पारकर गयो, तब वीर बटवाने नीचे देखा । पेड़ के नीचे काँटे लगे देखर शक्ति हुआ और इधर-उधर नजर दौडायी तो चन्दैनी दूरपर भागती हुई दिखाई पड़ी। बोला- अच्छा चन्दैनी, आज तो तुम धोखा देकर निकल गयी। किसी दिन जव नदीपर मिलोगी तब तुम्हारी इजत लूएंग। आम सड़कपर तुम्हें बेइजत करेगा। वह नीचे उतरने लगा। जबतक वह एक डालीसे दूसरी डालीपर उतरे उतरे तस्तक वह दो पोस पहुँच गयी। जबतक पेडसे उतर पाये, वह अपने गाँव निकर पहुँच गयी। बटवाने उसका पीछा किया। तबतक वह पास आये, वह अपने घरके पास पहुँच