पृष्ठ:चंदायन.djvu/४२०

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४१२ आभूपण विसर गये। इस तरह उसे अर्धनग्न गिरते देस लोरिकने सोचा कि उसने टुकड़े टुकड़े हो जायेंगे, उनको यौन बटोरता पिरेगा। उसने उसे अपनी लाठीपर ही रोक लिया और फिर धीरेसे भूमिपर रख दिया। चन्दैनी खड़ी होकर गालियाँ देने लगी। लोरिक बोला--तुमने कहा और मैंने छला दिया। यह कहकर वह अपने घर चला गया। चन्दैनी भी उदास होकर घर चली गयी। शामको अपनी भौजीसे यहानापर वह फण्डा हेर पडोसीके घरसे आग लेने निकली। रास्ते लोरिक मिला । वह खिल उठी। बोली-मुझसे नाराज स्पों हो? मैंने तो मजाक किया था । मेरा घर देखा है न देवर ! क्या बताऊँ भौजी, आज तो मौरा निकल गया । कल तुम्हारे घर जरूर आऊँगा। नन मत आना, देवर । मेरे घर पहरेदार बहुतसे है । पहले तो सटकपर पहरा देनेवाला हाथी है । उसके बाद पाप है, तर सुरही गाय और तब उसके बाद भालू । अपनी जान जोसिममें डाल्कर मत आना। पानीमें छिपनेपर भी वच न पाओगे। लोरिक घर आश्र मनजरियासे बोला-जल्दीसे भात पका दे। गौरागढवी गली में एक सभा है, वहाँ जाना है। जल्दीसे उसने साना खाया, अच्छे से अच्छे कपडा पहना और गड़ेरियावे घर जावर एक चितक्या वरा लिया, फिर युछ ईस और हल्वाईचे घरसे मिटाई पर चन्दैनी घरकी ओर चल पडा । हाथी देखते ही उसने उसफे सामने ईख डाल दी, पापको उसने बकरा दे दिया, गायको घास और भादको मिटाई । इस तरह शारी बाधाएँ पारकर वह चन्दैनोरे कमरेमें जा पहुंचा। चन्दैनी देसनेमें सारा शरीर टक्कर सो रही थी, पर भीतर ही भीतर जग रही थी, मुंह नहीं सोलती थी । भीतर हो से बोली--कौन हो तुम, अपने भाई महन्तरीको बुलाती हूँ। वह तेरा सिर काट डालेगा। धत् चन्दैनी, तुमने चुनाया तो मैं आया । अब धमकी देती है। यह कहकर लोरिकने दीपयको लात मार दिया और स्वय धरनपर चढ गया । चन्दनी बोली-देवर, मैं तो मजाक्कर रही थी। तुम नाराज हो गये । और यह अन्धेरै रोरिकको हँढने लगी। धरनपर बेटा-बेटा लोरिख यौला-में धरमपर पैठा हूँ। तुम अपनी कहानी कहो। चन्दैनीने अपने आ पोस डाले और कहानी पहने तगी। पहले एक जनममें मैंने एक हिरणीरी योसमें जम लिया था। हिरनकी तरह एक नगरसे दूसरे साल घूमती रिरती थी। एक दिन एक राजा मुझे मार न सका, लिए उसने मुझे शाप दिया । उगरे पसे में 6 मरी। प मैंने मोरपे स्प अम लिया और जगलमें नाचती रिती थी। इस यार तिर एक गगने शाप दिया