पृष्ठ:चंदायन.djvu/४२१

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और मैं मर गयी । दूसरे जन्ममें कुतियाके गर्ममें जन्म लिया और मैं गली गली मँगती पिरती थी। फिर राजाने शाप दिया और मैं मर गयी। और अन्त में मैंने राजा गोयन्दीके घर जन्म लिया और वीर सावनसे विवाहो गयी किन्तु अपने सभी जन्मों में मैं कभी मुसी न रह सकी। यह सुनते ही लोरिक धरनपरसे उतर आया । चन्दैनीने इत्र पुरेलसे उसका स्वागत किया और मिटाई पिलायी। दूसरे दिन मुबह हहला हुआ--लोरिक यहाँ है, लोरिक कहाँ है आवाज सुनते ही वह जागा और पाटपरसे उठवर मागा। जल्दी उसने चन्दैनीकी साड़ी पहन ती। आँगनमें बुढिया धोबिन बुहारती हुई मिली। पाली-नन्द लला तुम कहाँ थे। तुम्हारे गाल काजल और सेंदुरसे लाल क्यों है ? होरिखने यहाना किया में अपनी गायें कैद रहा था । गेरुसे खेल रहा था वहीं मुंह पर लग गया होगा। धोबिन बोली-झूठे, पाटिये, चुप रह । तेरी धोती कहाँ है। चन्दैनीकी साडी क्यों पहने है ? लोरिकने अपने शरीर की ओर देग्या और फिर गिडगिडाने लगा-किसीसे मत कहना, तुझे दो सूप गेहूँ दूंगा । यह साडी, चन्दैनीके घर दे याओ। बुढिया साही लेकर चन्दैनौके घर गयी। वहाँसे लोरिकक कपई ले पायी । लोरिक उन्ह नदी पर धोयर घर पहुंचा। उस समय मनजरिया घर दुहार रही थी। उसने देखते ही कहा-मैंने कहा न था कि सभामें मत जाओ। ऐसी समा तो पहले कभी नहीं होती थी। तुम्हारी आँखें उदास सी क्यों है ? और वह बदबहाती हुई घड़ा लेकर तालको ओर चली। ___तालाब पर चन्दैनी अपने कपड़े धो रही थी। उसे देखते ही चन्दैनीने पूछा- क्सेि कोस रही हो, बहन । मजरियान अपने पतिके आँसारे उदासीकी चर्चा की। तर चन्दैनीमे लोरिक के अपने घर आनेकी बात कह दी। बोली-वे घर धरनपर चढ़ गये और मुझ एक पल सोने नहीं दिया । और हँस पड़ी। मनजरियाको सन्देह हो गया। मर जा तू चन्दैन--कोसती हुई मनजरिया घर आयी। लोरिक्वो बड़े प्रेमसे नहलाया पिर साना पिलाया। खाना सावर लोरिक सोया। शाम हुई तो उसे चन्दनीकी याद आयी। गोकर गायोंको दुदने बहाने अपने कपड़े छिपाकर घरसे निकला। रास्ते में बुढिया धोरिन मिली। योलो-इस रास्ते रोज-रोज मत आया करा नहीं तो बदनाम हो जाओगे । उसकी सिइवीसे रस्सी बाँध रो, उसीरे सहारे बिना किसी पे जाने आया-जाया करो। घोविनये कहने अनुसार कोरिक्ने रस्सी तैयार थी। मजरियाने रस्सी देव ली और जान गयी कि वह किस कामरे लिए बनायी गयी है। उसने उसे चोटारम छिपा दिया। रिकने मजरियाची मुशामद की और उसे भुराया देवर रस्मी लेती।