पृष्ठ:चंदायन.djvu/४२३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

४१५ तब लोरिकने अपनी तलवारसे पेडकी एक डाल कार गिराया । इसपर चन्दैनी ने ताना दिया-बस यही तुम्हारी यहादुरी है। यह मुनकर लोरिक क्रुद्ध हो गया! पासमें ही बाप दादारा लगाया सेमलका पेड़ था। वह इतना मोटा था कि उसके चारों ओर धारद बैलेकी रस्मी मी पूरी नहीं पड़ती थी। उसने अपनी तलवार तेज की और पेडपर एक हाथ मारा। पेड जहाँका सहा सहा रहा । चन्दैनी हस पड़ी। लोरिक्ने डाँटा-चुप रहो। करीन जाकर तो देखो तो तुम्हारे पागल प्रेमीने क्या किया है ! चन्दैनीके छूते ही पेड जमीनपर गिर पडा । चन्दैनी चल्नेको तैयार हो गयी। तब लोरिक बोला-मैं चोरोंकी तरह नहीं चलूँगा। तुम्हारे वापसे कहकर चलूँगा। वह चन्दैनीके घर जाकर जोरसे चिल्लाया-राजा महरि सोते हो या जागते ! मैं चार दिनके लिए बाहर जा रहा है। मजरियाको तुम्हारे ऊपर छोड़े जाता हूँ। ऐसा कहकर चल पड़ा ! भीतरसे आवाज आयी-मेरी बीवीको भी लेने जाओ, बहुत दिनों उसने सपने माँ बापको नहीं देखा है। रोरिक बोला-नहीं, नहीं । बुढापेमें वह चलते चलते मर जायेगी। हॉ, मैं तुम्हारी बलिया साथ लिये जा रहा हूँ। और कहकर वह चल पड़ा। आगे आगे लोरिक पीछे-पीछे चन्दैनो चली। चलते-चल्वे वे गेरू नदीरे किनारे पहुंचे। नदीमें जोरोको बाढ थी! लोरिक पहाडसे सेमन्टका पेट काट लाया और बाँधकर बेडा बनाया। दोनों उसपर सवार होकर नदी पार करने लगे। नदीम लोरिकको दो चुहे बहते दिखाद पटे। उसने उन दोनों को उठाकर लकडीपर रख दिया। रास्ते में चन्दैनीने चुहियाको उठाकर पिलवाडमें किनारे नहाती हुई त्रियोंपर पेंक दिया। यह देखकर चूहेको गुस्सा आया और उसने वेडेकी रस्सी काट दी। लोरिक और चन्दा रहने लगे। वहते बहते के किसी तरह किनारे जा लगे। वे दोनों केवटको खोजने लगे जो उन्हें नावपर बैठाकर पार कर दे। एक था मिला, मगर वह चन्दैनीके रूपपर मोहित हो गया। उल्फर लोरिक और चन्दैनी उसकी नावपर चढ़ गये। नावपर चढकर लोरिकने देवटा कान काट लिया। नदी पार करने के बाद चन्दैनीने फेवरको अपनी साडी दी और कहा इसे अपनी बीवीको पहनाना । पहनकर वह भी मेरी ही तरह मुदर लगने लगेगी। चन्दैनी अपने प्रेमीके माय भाग गयी, इसकी खबर जर बावनवीरको लगी तो यह रिक्को पकडने निकला। दूरसे लोरिकने उसे नदीके किनारे किनारे आते देखा। उसने चन्दैनीसे छिप जानेको कहा और स्वयं मन्दिरकी ओर चल पावन धारने तीर चललया पर उसका निशाना चूक गया। उसके बारह नीम के पेड़ काटकर मन्दिरपर गिराये। मगर लोरिक बचरर मदिरमे निकन्टार आगे चल पड़ा। बावनवीर नदी पारकर आया और मदिरशे तोड डाला। मगर उसे शत्रु न मिला। वह तो निपल चुका था।