पृष्ठ:चंदायन.djvu/४२४

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अब चन्दैनीके मनमे भाव उठने लगा-यदि हम लोगोने नदी पार न की होती तो दोनोंमे लडाई होती ! मैं एक्रो पराजित होकर यादमें यह जाते देखती और जो विजयी होता उसकी गोदमें सोती । जब लोरिषको चन्दैनीरे मनकी बात शत हुई तो वह बहुत गुस्सा हुआ और उसने चन्दैनीको एक चाटा मार दिया । चन्दैनी रुग उसे गालियाँ और शाप देने-तुझे बाल नाग डस ले। आगे जापर वे लोग एक जगह रुक गये। चन्दैनीने खाना दनानेके लिए आग जलायी। लोरिक उसके पास ही लेट गया। इतने में चूल्हेसे एक चिनगारी उही और नाग बनकर उसने लोरिक्को डस लिया। जब वह खाना परा चुकी तो लोरिकको जगाने लगी। लेकिन यह तो मर चुका था। ल्गी यह जोर-जोरसे रोने। उसी रास्ते महादेव पार्वती जा रहे थे। चन्दैनीका रोना महादेवसे न देखा गया। उन्होंने अपनी अंगूठी पानीमे धोकर लोरिक्षे मुँहमें डाल दी और वह जीवित हो उठा। वे लोग आगे पदे और चलते-चल्ते कोटियागढ पहुँचे । वहाँ वे एक तालावरे किनारे खाना पकाने लगे। धुआँ निकलते देस धनिया नामक एक बदमाश वहा आया और बोला-मेरा पर दे दो तर साना पकाने दूंगा। चन्दैनीको देखकर वह मोहित हो गया था, कहने लगा-मैं पैसे नहीं दूंगा, तुम दोनों में से एकको लूंगा। लोरिकने पहा-अन्छा, चन्दैनीको ले जाओ। जर धनिया चन्दैनीको पक्डने वढा तो लोरिकने उसे पकड लिया और उसरे सिरको तीन पाँतोंमें मूड दिया और लगा वेल्वे पलोंसे उसे मारने । मार खाते-खाते जब धनिया पागल हो गया तय उसकी तीनों ल्टों में लगेरिकने एव एक पल माघ दिया और भाग जानेको कहा। नगरके लोगोंने जब धनियाको आते देखा तो उन्होंने अपने अपने दरवाजे बन्द कर लिये । अकेले एक बुदिया अपने दरवाजेपर सडी रह गयी । उसरे दरवाजेपर जावर पनिया बोला-अप मैं पागल धनिया नहीं रहा। मैं गधू हो गया हूँ। सीर्य करने गया था। उसने अपनी ल्ट और उसमें सेंधे वेल्रे पलोंको दिखापा । बुढियाने उसरे पल निकाल पेंथे। वहाँ बैठकर धनिया चन्दैनीका सौन्दर्यका वर्णन परने लगा। चोल-उसके आगे तो हमारे यहाँको रानी दासो सो रगती है। उसने पर इतने कोमल और ऐसे हाल हैं, जैसे रानीसरी जीभ हो । आगसी तरह उसका सौन्दर्य दमकता रहता है। गर रानासे रहो कि वह लोरिक्यो मार कर उस ल्डकीको अपनी रानी बनाये। बुढियाने राजासे जारर पहा । राजाने उन दोनें पहलवानोंको बुलानेकी आश दी, जो नित्य पाँच सेर गेहूँ और एक यवरा खाते थे। जब वे आये तो भोला कि उस आदमीको मारपर चन्दैनीयो मेरे पास लाओ। दोनों पहलवान सोरिक्की ओर चले। उन्हें आते देख चन्दैनी डरी। पर लोरिपने कहा-टरो मठ | वे तो मेरे लिए तिनपे समान हैं। पास आते ही रह उसने कौशल और पल्से मार भगापा ।