पृष्ठ:चंदायन.djvu/४२५

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४१७ बुदिया यह देखकर डरी और भागकर राजासे सब समाचार महा । तब राना हाथीपर सवार होकर अपनी सेना लेकर निकला और तालावको घेर लिया। राजा करिघा हा परसे चिल्लाया-विस देश तुम लोग भा रहे हो ! ओ लडकी अपने पतिको जगा, तेरी चूड़ी अब फूटने वाली है। चन्दैनीने लोरिकको जगाया। बोली-देखो फौज आ गयी है। लोरिकने बोला~पौज तेरे लिए होगी, मेरे लिए तो तिनके समान है। उसने उठकर अपनी जापपर तलवार तेजको, अपने सापेसे उसे पोछा और पिर खडा होकर हवाम उछक कर तलवार चलाने लगा। पहली चोटमैं दसको मारकर पीछे हटा, दूसरी चोटमे सौको मारा और खूनकी नदी बह चली। लोरिक सेनाको इस तरह कारने लगा जैसे किसान खेतको काटता है। दरवे मारे सैनिक नगरकी ओर भागने लगे। रिक सेनाको काट रहा था और राजा हाथीपरसे तमाशा देख रहा या । डरके मारे वह भी शहरको ओर भागने लगा। उसे भागते देस लोरिकने उसका पीडा किया। दौटकर हाथीकी सूंड पकड ली और हाथी सिरपर पहुँच कर राजाके बाल पकड लिये । होला-मरनेके लिए तैयार हो जाओ। राजा करिधा, तुमने मेरा कर नहीं दिया है, इसलिए मैं यहाँ आया था । स्वामी, जानता नहीं था कि आप यौन है । क्षमा करें।राजा बोला । लोरिखने राजाको छोड दिया । राजावे आदमी एक पालकी ते आये और चन्दैनीको बिठाकर महल में ले गये। वहाँ चार दिन रुककर लोरिक और चन्दैनी घरदीगढकी ओर चल पड़े। पालकी में सवार होकर चन्दैनी हन्दीगढ पहुँची। उन्होंने यहाँ विरायेपर एक महल लिया। बा गौड राजा अपने अस्सी लाख टयें और शालिस लख पोताके साथ रहता था। उसका राज-दरार दिन रात खुला रहवा । रोरिक वहाँ अक्सर जाने आने लगा। वह वहाँके बारह हाथ ऊँचे प्राचीरको लग जाता । उसको यह अपने दोनों पैरोको छटा कर पार किया करता था। राजावे एक ऐंचा लडका था। उसने यह तमाशा देखा और राजासे जाकर कहा। तब राजाने रोरिकसे पूछा-तुम मेरे उस शत्रुको मार सरोगे, जिसने मेरे पिताको मार डाला है ! क्या दीजियेगा । गरिवने पूछा। एक हजार रुपया । इतना तो मेरी बीवीके पैर उल्लेख कीमत है। मैं तुम्हे अपनी गगा-जमुनाकी बग्वार दे दूँगा! चाहे जैसे हो, असे बदला ले लो । यहाँ मेरे पिताका पद है, सिर उनका पाटमगढमे है । मेरा गनु मुरह शाम उसे पाँच टोकर मारता रहता है। लोर राजी हो गया और सरसे शरारती छोडेपर सवार होकर पाटनगढ पहुँचा । शामको जब सिर बाहर निकाला गया और राजा उसे टकरानेकी तैयारी कर रहा था कि लोरिकने पहुँच कर उसे छीन लिया और हरदीगटोट आया।