पृष्ठ:चंदायन.djvu/४८६

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पंक्ति मुद्रित १२९४ देख १३५२ विजैसेन १२८१ १३ चवरधर १४४४ पिऔर १४दार तरह १५६ पारभ १५४१३ टिटहरी उचित विकाता मागे पुरुख चार पारि काटि अनारदि परहि गाडि और पनि दान कथा १५४३ १६०१४ १७११८ २०११ २०४२ २०१६ और उचित । ___पंकि मुद्रित देस ३०५ विधात ३०७६ अगों ३१५१ पुरुष नवरभार ३१५/७ वार पिरी ३१६६६ दार वारह ३२१ वटि पारध ३२३३४ वेदनारहि टिटिहिरी ३३३६ घरहि ३.८१ गद पानि ३५९६ टास कपा ३६२।१४ का ३६२११४ चमकारा जगमग ३६१श- ननहि ३६२१४ रमन निवार ३६२१२।४ नान ३६०३२।५ घर ३६रारा मान रास 3 और -९६२ भल भाउ ४००१ मैन दास्त ४०५७ देव उठान दंड ४१४२ दड पाँगी देव, दर ४२८४ ४२९१ मैल मसि Yrstu धिमा ४८५ गैर साडे समारा नरहि सह-सेंदर यान वेना बहुल २०६२ चैना २०६३ वोग २०६७ वास २०८५ २४३१ भाव २४८७ दास २५४३ देव २६२ हटाँगे २१ देव देउ उद्यान कटारि द्वारा फटारी महल विहिर २९0 नचार और उपयुच दीप परिमान बाद भी मैं कहना चाहेंगद उच्चारण वैमिन्व,लिर दोप और अमनमोगरे दारण अनंत शब्दों ममतने पर भू ई होगी। यदि उनमसे कोई मा पठकांकी दृष्टिम आकार थे उन्हें परद भर पहनान पाया सनी मूचना मुझे देनी उदारता अयाय दिपाय। निी प्राचीन ज्यान प्रामारिका , जो प्रन्टिॉप और गर्वमान्य हो, गम ही नहीं उगम्मत है।