पृष्ठ:चंदायन.djvu/४९०

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कवि-परिचय मौलाना दाउदका परिचय देते हुए मैंने क्त्प ना, अक १२४, (पृष्ठ १५)में लिसा था-तवारीस-ए-मुबारक शाहीमें एक शेस दाऊदका उल्लेख है जिई सानजहाँपे निजी मौलानाका पुर (मौलानाजादा) कहा गया है । सानजहाँने पीरोज शाहो अपने विरुद्ध भारी सेना लेकर जाते देखकर इन्हें कुछ लोगोथे साय शाहको सन्तुष्ट पके लिए भेजा था। अधिक सम्भावना इस बातती है रि शेर दाउद अन्य बोई नहीं, मौलाना दाऊद थे। यदि हमारा यह अनुमान ठीक है तो पहना होगा कि दाऊद सानजहाँन कृपा पात्र ही नहीं, अत्यन्त विश्वास पात्र भी थे। पीछे शत हुआ रि यहाँ जिस सानजहाँका उल्लेस है वह सानजहाँ माल अय| सानजहाँ जौनाशाह न होकर एक तीसरे सानजहाँ अहमद अयाज ये जे मुहम्मद तुगलक्की मृत्युप समय दिल्लीमे उनसे गायन थे। उन्होंने पीरोज्दशाह गुगलप विरुद्ध एक अज्ञात कुलीन ल्डको मुहम्मद तुगलक्या बेटा घोषितकर गद्दीपर बैठा दिया था। इसपर जब पीरोज तुगल्फने उनये विरुद्ध अपनी सेना भेजी वो उन्होंने अपने मौलानाजादा शेस दाऊदको शाहको सन्तुष्ट करनेके लिए भेज था । इस प्रार स्पष्ट है कि सानजहाँ अहमद अयाज मौलानाजादा शेख दाऊद और खानजहाँ माल और सानजहाँ जौनाशाहसे सरक्षित चन्दायन रचयिता मौलाना दाऊद, दो भिन व्यक्ति थे। इस तथ्यसे परिचित हो जानेपर मैंने इस यातको चर्चा इस ग्रन्यमें परिचय प्रसगमें जान बूझकर नहीं किया। किन्तु अब इसका उल्लेख इसलिए आवश्यक हो गया कि चन्दायनरे आगरा सस्वरणकी प्रस्तावनामे विश्वनाथ प्रसादने यही भूल की है जो मैंने थी थी अर्थात् उन्होंने तवारीख-ए- मुगारिक्शाहीचे उत्त वर्णनको अपने शब्दों में उपस्थित कर दिया है जिससे नपे तपये प्रकाशमें आनेवा भ्रम होता है। दाऊदके मौलाना होनेका प्रमाण मैंने परिचय देते समय कई सूनोंसे दिया है। उस समय मेरा ध्यान इस सातसरी ओर नहीं गया था कि असार उल-अपयार लेसर शेस अब्दुलहक्ने भी उन्हें मौलाना रहा है। साथ ही उन्होंने दाऊद दोस जैनुद्दीनये शिष्य होने और चन्दायनमें जैनुद्दीनकी प्रशसा रिये जानेको पात मा लिसी है जिससे चन्दायनरी पतियोंश समर्थन होता है। असगार-उल-अखयारवाय पत्तियाँ है-शेरा जैनुद्दीन ख्वाहरजादा य सादिमे सास शेत नसीबद्दीन चिरागे दहला अस्त | जिने ऊ दर मजाल्सि व मल्पजाते दोग्य सन्त याफ्ता असा मोलाना दाउद यमुनि चदायन मुर्यदे ओत व महे व दर अव्वले चन्दायन करदा अस्त । (शेस जैनुद्दीन चिरागे देहली शेख नसोच्दीन बहनरे बेटे और गादिमें साध थे। शेस (नसीरुद्दीन) उनका जिक धर्मसभाओं वया सामान्य यातचीतम प्राय दिया करते थे । चन्दापनी रचयिता मौलाना दाउद उन मन (मुरीद) थे और दान चन्दायनपे आरम्भम उनकी प्रशसा को है)।