पृष्ठ:चंदायन.djvu/६२

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कहूँ। मैंने चार स्वप्न देसे । कल रात जब हम इनमें घुसे तो एक सिद्ध आया जिसने हम दोनोका मिल्न राग । मैंने उसका पैर पकड लिया और बोली कि जबतक जीवित रहूगी, तुम्हारी सेवा करेंगी। तब उसने आशीर्वाद देवर कहा कि लोरक तू मेरा भाई है । रास्ते में एर टूटा योगी है। उधर चाँदको मत हे जाना । लेकिन अगर तुझ पर कोई कष्ट आये और हँग चाँदवो अपहरण कर ले जाय तो ईश्वर को स्मरण कर मुझे स्मरण करना । यह कहकर सिद्ध उड दर चला गया । (३७० ३७४) __४६-स्वस्थ होकर तोरक और चाँद पुन आगे बढे और चार दिन चल्नेके बाद एक नगरमे पहुँचे। चाँदको एक मन्दिरमै बैठार लोरक नगरमै खाने पीनेका सामान लान गया। दूँग योगीने चाँदको देखा और उसरे पास आकर सिगी नाद दिया | चौद बेसुध हो गयी और उसरे पीछे चल पड़ी । जर लेरक लैटकर आया तो मन्दिरको चाँदसे शून्य पाया । यह चाँद वियोगमे रोने लगा । रात भर वह चाँद को सोजता रहा, पर वह न मिली। दूसरे दिन वह जगह जगह चाँदयो पृछता पिरा । एक जगह उसे पता चला कि शाम ढूँटेके साथ एर स्त्री जा रही थी। टूटेको खोजते सोजते उसे एक नगरमे पता लगा कि टूटेये साथ स्त्री आयी है। तत्काल लोरखने उसे जा पकडा । लेकिन ट्रॅटेने जर आँख दिसायी तो लोरक भाग चला। तभी उसे सिद्धका वचन स्मरण हो आया। स्मरण करते ही सिद्ध उसके पास आ सडा हुआ। अब लोरक और टूटेमे झगडा होने लगा। दोनों ही चाँदको अपनी पत्नी बताने लगे । चाँद गगी बनी यह सब देसती रही। सिद्धने तर कहा कि तुम आपसमे क्यो रुड रहे हो । सभावे पास चल पर पैसला परा हो। और तर चायें आदमी-दूँग, लोरक, चाँद ओर सिद्ध सभामं पहुँचे। वहाँ लगेरक और हँटा दोनों ने अपनी अपनी यात कार चाँदको अपनी पत्नी यताया। पर दोनॉमेसे विसीके पास कोई साक्षी न था । सभाने कहा कि चाँदसे पूछो कि वह क्या कहती है। पर ट्रॅटेने ऐसा मन पढ दिया था कि चाँदको कुछ स्मरण नहीं रह गया था। (२७५-३८४) (सभाने रिस प्रकार लोरस पक्ष निर्णय दिया, यह नृत्त अनुपलब्ध है)। ७-इन सब सफ्टोंपर विजय प्राप्त कर अन्तमें लोरक और चाँद हरदीं पहुंचे। प्रात काल जिस समय ये हरदीकी सीमामें घुस रहे थे, उसी समय वहाँवा राजा शेतम शियारपे लिए बाहर जा रहा था । उसने उन्ह देखा और उनका परिचय प्रात करने लिए नाई भेजा । नाईने उन्हें एक स्थानपर लाकर ठहराया और उनका परिचय प्राप्त पर लौटा। तर राव झेलतने रोरको बुलवाया ओर आनेका कारण पृा। पिर उसरा भरपूर सम्मान किया और नाना प्रकारको सामग्री उसे भेंट की। दोनों यहाँ आनन्दपूर्वक रहने लगे। (३८९ ३९७) ४८-उधर मैना न-रात लोरकरे यापम आनेरी प्रतशा करती हुई रोती रही। एक दिन उसने सुना कि नगरमे सात दिनासे कोई टाँड (बापारियोका रामह) आया हुआ है । उसने अपनी साससे कहा कि पता लगाइये वे पहाँसे आये है। तब खोलिनने उसरे नायक सिरजनको अपने घर बुलवाया और उसके पृधारि