पृष्ठ:चंदायन.djvu/६९

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कथाओं की तरह नायिका नायक मिल्नेवे पश्चात् दम कथाका अ त नहीं होता। चरन लोरक चाँद मिल्नरे पश्चात् कथाका विस्तार होता है। तदनतर उपनायिका मैनाकी विरहव्यथासे द्रवित होकर, नापिकाकी बालोंको अनसुनी कर लोरक घर लौटता है। लौटकर भी यह मुस चैनसे नहीं बैठता। आगे भी कुछ करता है, जिसका पता मथरे सहित दोने के कारण हमें नहा लगता। इस प्रकार चन्दायन किसी निश्चित शैली अथवा परिपाटीमें धी प्रेम कथा नहीं है । उसका पक्ष पेशल चाँद और लोरको रूपाकर्षणकी चरम परिणति दिखाना नहीं है । इसमें चाँद और उसके साथ साथ लरकका सम्पृण चरिन उपस्थित किया गया है। इस दृष्टि से इसे प्रेमाख्यान कहने की अपेक्षा चरित काव्य कहना अधिक सगत होगा। यदि हमारी धारणाके अनुसार चन्दायन चरित काव्य है तो चाँद और लोरक का ऐतिहासिक अस्ति व होना चाहिये। किसी जीवन वृत्तो कल्पना प्रसूत होनेकी सम्मा वना बहुत कम होती है । यायचे रूपमें उममे कल्पनारे मिश्रणसे अतिर जना हो सकती है पर उससे मुख्य पात्रों की ऐतिहासिकतामें किसी प्रकारकी कमी नहीं आती। चॉद और लोरको ऐतिहासिर अस्तित्वसे हमारा यह अभिप्राय यह कभी नहीं है कि उनका उल्लेस हमें ऐतिहासिक अथवा पौराणिक प्रथा में मिलना ही चाहिये । हो सकता है, चाँद और लोरक ऐसे लोगोंमे थे, जिनकी कहानी इतिहासकारोंको आप नही कर पायी फिर भी जन जीवनकी स्मृतियों में उनकी याद बनी रही 1 आधारभूत लोक कथा चन्दायनकी कथा, लोक जीवन में प्रचलित कथाका हो साहित्यिक रूप है, इस रातमे तनिक भी स देह नही रह जाता, जब हम नायक लोरक, नायिका चाँद और उपनायिका मैंना माजरिके ताने बाने साथ चुनी गयी उन लोक कथाओंको देखते हैं जो पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, गाल और उत्तीमगढचे प्रदेशामें निसरी मिलती है। (इन लोक कथाओंको हम परिशिष्ठ रूपम सकल्ति कर रहे हैं।) इन सभी कथाओं का बाह्यरूप एक-मा है, केवल यत्र तत्र आतरिक घट चाओंने रूपमें मिलता है कोई घटना किसी कयामें है किसम नहीं 1 उनसे तुलनात्मक अध्ययनसे ऐसा जान पडता है कि इन लेक क्याआने वे मभी तत्त्व, जो आज हम बिखरे मिलते हैं, किसी समय एक सूत्र मे प्रथित रहे होंगे। समयरे साथ कथाये विस्तृत क्षेत्रमें पेल्नेपर कहीं पुराने तब नष्ट हो गये और कहीं नये तत्व आकर जुर गये । इस शिको रसकर जब हम इन लोक कथाओंरे साथ चन्दायनको कथाका अध्ययन करते है तो हम उसमे लोक कथाओम पियरे प्राय सभी तत्व एक साथ मिल आते है। गेरस चॉदकी प्रेम स्था, दाऊदने समयमें काफी प्रचलित कथा रही होगी, इसका अनुमान इस घातसे हो सकता है कि उसका उल्लेस मैथिल कवि