पृष्ठ:चंदायन.djvu/७०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
५८
 

ज्योतिरीश्वर शेसराचार्यकी, जिनका समय चौदहवीं शताब्दीका पूर्वादं समझा जाता है, मुप्रसिद्ध रचना वर्णरत्नाकर लोरिकनाच्योरे रूपभ हुआ है। ___दाऊदने अपनी कथाको लोक जीवनसे ही ग्रहण किया था, यह उनके इस क्थनसे भी सिद्ध होता है कि उन्होंने उसे क्सिी मलिक नयनसे सुनस्र पालका रूप दिया । यह मलिक नथन कोई सामान्य नागरिक थे अथवा कोई विशिष्ट पुरुष, यह यहा नहीं जा सकता । असकरीने उनरे सम्बन्धम अनुमान करते हुए मुनीस-उल- पुल्लूब नामक ग्रन्थमे विहार निवासी सूपी हुसेन नौशाद तोहीदके, जे चौदहवी शतान्दोम हुए थे, जीपन प्रसगम उल्लिसित मौलाना नथनका उल्लेख किया है।' पर यह कोरा अनुमान है । परशुराम चतुर्वेदीने अलीगढसे प्रकाशित इसलामिक फ्ल्पर नामक पत्रिकाम उपे हवीपरे किसी निव-धवे हवालेसे लिखा है कि चिराग- ए देहली शेस नसीरुद्दीनरे एक मित्र पटना निवासी नाथ नामक कोई सन्जन थे जिहोंने उन्हें एक बार उपासवे अवसरपर दो रोटियाँ दी थी। अत उनका अनु मान है कि नाथ दाउद समकालिक हो सकते हैं । पर इस अनुमानम भी कोई तथ्य नहीं है। नसीरुद्दीन दाऊदये गुरु जैनुद्दोनये गुरु थे, इस कारण उन समकाल्पि नाथ दाउद समकालिक पदापि नहीं हो सक्ते। अभिप्राय और रूढियाँ चन्दायन यद्यपि लोक क्यापर आश्रित प्रेम मिश्रित चरित काव्य है, तथापि उसम कथा साहित्यम पाये जाने वाले अभिप्रायो और रूढियों की कमी नहीं है। उनका सागोपाग अध्ययन तो तभी दिया जा सरेगा जर काव्या पूर्ण रूप हमारे सामने होगा और क्या अपनेम पूर्ण होगी। फिर भी कुछ अभिप्रायों और रूदियो को तो हम स्पर देख हो सकते हैं - (३) क्लीव पति छोडकर परपुरुपके साथ भाग जाना-अपभ्रश काव्य रणसेहरी महाम रत्नावली नामक रानीकी क्या है, जिसका पति रत्नशेसर काम भोगसे विरत रहता था, पल्त रानी कुपित होकर एक दासरे साथ भाग गयो । इतिहासमै भी इसी तरहगी एक घटना गुतवदशम प्राप्त है जिसरी चर्चा पिशासदत्तने अपने नाटक देवीचन्द्रगप्तमम की है। रामगुप्तको क्लीवतारे कारण उसकी पत्नी भूस्वामिनी चन्द्रगुप्तपर आसक्त हुई और चन्द्रगुप्तने गमगुप्तको मारकर ध्रुवस्वाग्निीसे विवाहकर लिया । प्रस्तुत धाव्यमें चाँद पतिकी काम भोगरे प्रति उदासीनतारे वारण ही मायये आपर होरपणे प्रति आसक्त होती है। (२) नारी द्वारा पुरपको भगा ले जाना-नारी द्वारा किसी पुरुषको भगा से जानेकी घटना असाधारण है, फिर भी यह भारतीय क्लाका एक नाना पहचाना अभिप्राय है। मथुरा सग्रहालयम कुशाणपालीन एक पल्प है जिसपर एक स्त्री पुरुषका १ परेण्ट रटगेज (परना बाज), १९५५, १० १२, पाद निप्पणी २० । २. रिन्दोके मुफी प्रेमास्यान, पृ० ३६ ।