पृष्ठ:चंदायन.djvu/८८

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५८ पर पहुँचना, ३०५-चाँदके रूप पर महाका मोहित होना; ३०६-मल्लाहका चाँदसे परिचय पृटना; ३०७-लोरक्का मल्लाहको गिरा र नाव पार ले जाना। (इस अराम कुछ कडवकों का अभाव जान पडता है। गगा तट तक पहुँचने और मल्लाह के साथ होनेवाली घटनाका स्वरूप असष्ट है ।) यावन-लोरक युद्ध- ३०८-गगा तटपर बावनरा आना, ३०९-बावनका गगाम दर लोरकका पीछा करना, ३११-चाँदका बावन आ पहुँचनेकी सूचना लोरकको देना; ३१२-चाँदका बावमसे अपने उपेशिता होनेरी बात कहना,३१३-बावनका उत्तर और लोरक्पर बाण छोडना; ३१४-चाँदया औरकको सचेत करना और बावनका पुन. बाण मारना, ३१५-चावनका हार मानना, ३१६-चावनका खेद प्रकट करना। लोरफ और विद्याका (१) संघर्ष- ३१७-मार्गमे लोरव चाँदसे विद्या (१) का मेंट: ३१८- विसीका राय (8) से चाँदकी प्रशसा : ३१:-राय गागेउरा लोरक्रे पास आना (१) ३२०-लोरकका विद्यादानीसे युद्ध : ३२२-लोरकका विद्यावा हाय काटना : ३२३-विद्यावा रावसे परियाद करना : ३२४-रावका विद्यासे हाल पूछना और विद्याका बताना (यह अश अपूर्ण है। उपलब्ध कडवोंसे क्या क्रमका पता नहीं चलता। रडवोका प्रम भी अनिश्चित है। उनरे तिनम होनेकी सम्भावना अधिक है।) राव करिंगा और लोरक- ३२५-राद करिंगाका मन्त्रियोंसे परामर्श, ३२६-रावा लोरफको बुलनेरे लिए ग्रामण भेजना : ३२७-लोरक्से ब्राह्मगोंका निवेदन करना; ३२८-लोरक्का रावरे पास जाना, ३२९-लोरकका रावसे बातचीत; ३३०-रावका लरकका सम्मान करना : ३३१-लोरकको भेंट देकर रावको विदा करना । चाँदको सॉपरा उसना- ३३२-औरक चाँदवा ब्राह्मग के घर टहरना और रात में चाँदको साँपका सना; ३३३-चाँदका मूति होना; ३३४-चाँदके वियोग, रक्सा रोना; ३६५- लोरक्का विलाप, ३३६-गारुडीका आकर मन्त्र पढना; ३३७-चांदका जीवित से उटना। लोरफका अहीरो-यद्देलियांसे युद्ध- ( पडवक ३३८-३४३ अप्राप्य है। इनमें वीवसा येवल एक कड़वक उपलब्ध है जिससे इस घटनाका अनुमान मान होता है ) चाँदको दुगरा सांप काटना- ३४४-गरस-चाँदता बनबाटम रुकना और चाँदको सांप काटना, ३.६-३० चाँदका मूनि हाना और तारका वियप परना, ३४८-रस्ता पारडके