पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 1.djvu/१६३

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औरत–हाय, मेरे ऊपर वह आफत आई जो किसी तरह टहल नहीं सकती!

किशोरी उसे अपने कमरे में ले आई और अपने पास फर्श पर बैठा कर बातचात करने लगी। इस औरत की उम्र अठारह वर्ष से ज्यादा न होगी। यह हर तरह से खूबसूरत और नाजुक थी, इसके बदन पर जो कुछ जेवर था, उसके देखने से साफ मालूम होता था कि यह जरूर किसी बड़े खानदान की लड़की है।

किशोरी–मैं उम्मीद करती हूँ कि अपने दिल का हाल मुझसे साफ-साफ कहागी और मुझे बहिन समझ कर कुछ न छिपाओगी।

औरत-बहिन, मैं जरूर अपना हाल तुमसे कहूँगी, क्योंकि तुम भी उसी बला में फंसी हो, जिसमें मैं।

किशोरी-(चौंक कर) क्या मेरी ही तरह से तुम पर भी जुल्म किया गया है?

औरत-बेशक।

किशोरी-(लम्बी साँस लेकर) हे ईश्वर! मैंने तो किसी के साथ बुराई नहीं की थी, फिर क्यों यह दुख भोग रही हूँ।

औरत-मगर मैं अब इस जगह ठहर नहीं सकती!

किशोरी–सो क्यों? क्या किसी तरह का खौफ मालूम होता है?

औरत-नहीं-नहीं, डर किसी बात का नहीं है, पर इस समय मुझे किसी की कल भागने की उम्मीद है, इसीलिए अपने कमरे से निकल यहाँ तक आई थी।

किशोरी-क्या कोई तरकीब निकाली गई है?

औरत–हाँ, और अगर चाहो तो तुम भी मेरे साथ यहाँ से भाग सकती हो। इसी राज्य का एक जबर्दस्त आदमी आज हमारी मदद करेगा।

वह सुनकर किशोरी बहुत ही खुश हुई। यह औरत कौन है, उसका नाम क्या या दुख पड़ा है? यह सब पूछना तो बिल्कुल भूल गई और निकल भागने उस औरत का हाथ अपने दोनों हाथों में लेकर प्रेम से उसकी तरफ देख पूछने लगी, "क्या तुम्हारी मदद से मेरा भी छुटकारा यहाँ से हो सकता है?"

औरत-जरूर हो सकता है मगर अब देर नहीं करनी चाहिए।

इसके जवाब में किशोरी कुछ कहना ही चाहती थी कि सामने का दरवाजा खुला भार एक हसीन औरत अन्दर आती हई दिखाई पड़ी। इसकी अवस्था लगभग बीस वष का होगी, सफेद गेहूँ का सा रंग, कद न लम्बा न नाटा, बदन साफ और सुडौल, नमकान चहरा, रस-भरी आँखें, नाक में एक हीरे की कील के अलावा दो-चार मामूली गहने पहन हुए थी, तो भी वह इस लायक थी कि ऊँचे दर्जे के ख बसरतों की पंक्ति में बैठ सके। इसे देखते ही वह औरत, जो किशोरी के पास बैठी थी, चौंकी और उसकी तरफ देख कर बोली, "लाली, इस समय तुम्हारा यहाँ आना मुझे ताज्जुब में डालता है!"

लाली-लेकिन यह सुनकर तुम्हें और भी ताज्जुब होगा कि मैं तुम्हारे पंजे से बेचारी किशोरी की जान बचाने के लिए आई हूँ।

इतना सुनते ही उस औरत का रंग-ढंग बिल्कुल बदल गया। उसके चेहरे पर मदद से निकल भागने की उम्मीद है। है, उस पर क्या दुख पड़ा है? यह सब