पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 1.djvu/१७७

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किशोरी––खैर, इस तस्वीर का हाल अगर तुम जानती हो, तो कहो।

कुन्दन––कहती हूँ, सुनो––जब कुँअर इन्द्रजीतसिंह को धोखा देकर माधवी ले गई तो उनके छोटे भाई आनन्दसिंह उनकी खोज में निकले। एक मुसलमानी ने उन्हें धोखा देकर गिरफ्तार कर लिया और अपने साथ शादी करनी चाही, मगर उन्होंने मंजूर न किया और तीन दिन भूखे-प्यासे उसके यहाँ कैद रह गये। आखिर उन्हीं के ऐयार देवीसिंह ने उस कैद से उनको छुड़ाया, मगर उन्हें अभी तक मालूम नहीं है कि उन्हें देवीसिंह ने छुड़ाया था।

इसके बाद उस तस्वीर के बारे में जो कुछ आनन्दसिंह ने देखा-सुना था, कुन्दन ने वहाँ तक कह सुनाया, जब आनन्दसिंह बेहोश करके उस खोह के बाहर निकाल दिये गये, बल्कि घर पहुँचा दिये गये।

किशोरी––यह सब हाल तुम्हें कैसे मालूम हुआ?

कुन्दन––मुझसे देवीसिंह ने कहा था।

किशोरी––देवोसिंह से तुमसे क्या सम्लन्ध?

कुन्दन––जान-पहचान है। आपने इस तस्वीर के बारे में लाली से कुछ सुना है या नहीं?

किशोरी––कुछ नहीं।

कुन्दन––पूछिये, देखें, क्या कहती है। अच्छा, अब मैं जाती हूँ, फिर मिलूंगी।

किशोरी––जरा ठहरो तो!

कुन्दन––अब मत रोको, बेमौका हो जायगा। मैं फिर बहुत जल्द मिलूनंगी। कुन्दन चली गई, मगर किशोरी पहले से भी ज्यादा सोच में पड़ गई। कभी तो उसका दिल लाली की तरफ झुकता और उसको अपने दुःख का साथी समझती, कभी सोचते-सोचते लाली की बातों में शक पड़ जाने पर कुन्दन ही को सच्ची समझती। उसका दिल दोनों तरफ के खिंचाव में पड़कर बेबस हो रहा था। वह ठीक निश्चय नहीं कर सकती थी कि अपना हमदर्द लाली को बनावे या कुन्दन को, क्योंकि लाली और कुन्दन दोनों ही अपने असली भेदों को किशोरी से छिपा रही थीं।

उस दिन लाली ने फिर मिल कर किशोरी से पूछा, "उस तस्वीर को देख कर कुन्दन की क्या दशा हुई?" जिसके जवाब में किशोरी ने कहा, "कुन्दन ने उस तस्वीर की तरफ ध्यान भी न दिया और मेरे खुद पूछने पर कहा कि मैं नहीं जानती, यह तस्वीर कैसी है और न इसे कभी मैंने पहले देखा ही था।"

यह सुन कर लाली का चेहरा कुछ उदास हो गया और वह किशोरी के पास से उठ कर चली गई। किशोरी ने कहा, "भला तुम ही बताती जाओ कि यह तस्वीर कैसी है?" मगर लाली ने इसका कुछ जवाब न दिया और चली गई।

इस बात को कई दिन बीत गये। लश्कर से कुँअर इन्द्रजीत के गायब होने का हाल भी चारों तरफ फैल गया, जिसे सुन धीरे-धीरे किशोरी की उदासी और भी ज्यादा बढ़ गई।

एक दिन रात को अपनी पलंगड़ी पर लेटी हुई किशोरी तरह-तरह की बातें