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पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 1.djvu/१९२

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होना ताज्जुब की बात थी। भैरोंसिंह ने वहाँ की जमीन बहुत साफ-सुथरी पाई, हाँ, छोटे जंगली बेर के दस-बीस पेड़ वहाँ जरूर थे जो किसी तरह का नुकसान न पहँचा सकते थे और न उनकी आड़ में कोई आदमी छिप ही सकता था, मगर मरे हुए जानवरों और उनकी हड्डियों की बहुतायत से वह जगह बड़ी ही भयानक हो रही थी। उस चारदीवारी के अन्दर बहुत-सी कब्र बनी हुई थीं जिनमें कई कच्ची तथा कई ईंट, चूने और पत्थर की भी थीं और बाग में एक सबसे बड़ी कब्र संगमर्मर की बनी हुई थी।

भैरोंसिंह ने फाटक के अन्दर पैर रखते ही उस औरत को, जिसके पीछे गए थे, बीच वाली संगमर्मर की बड़ी कब्र पर खड़े और चारों तरफ देखते पाया, मगर थोड़ी देर ही में वह देखते-देखते कहीं गायब हो गई। भैरोंसिंह ने उस कन्न के पास जाकर उसे ढूंढा मगर पता न लगा, दूसरी कब्रों के चारों तरफ और इधर-उधर भी खोजा, मगर कोई निशानः न मिला। लाचार वे आनन्दसिंह और तारासिंह के पास लौट आये और बोले

भैरों-वह औरत वहीं चली गई जहाँ हम लोग जाया चाहते हैं।

आनन्द–हाँ! भैरों-जी हाँ। आनन्द–फिर अब क्या राय है?

भैरों-उसे जाने दीजिये, चलिये, हम लोग भी वहीं चलें। अगर वह रास्ते में मिल भी जायगी तो क्या हर्ज है? वह एक औरत हम लोगों का कुछ नुकसान नहीं कर सकती।

ये तीनों आदमी उस चारदीवारी के अन्दर गए और बीच वाली संगमर्मर की बड़ी कब्र पर पहुँच कर खड़े हो गये। भैरोंसिंह ने उस कब्र की जमीन को अच्छी तरह टटोलना शुरू किया। थोड़ी ही देर में एक खटके की आवाज आई और एक छोटा सा पत्थर का टुकड़ा, जो शायद कमानी के जोर पर लगा हुआ था, दरवाजे की तरह खुलकर अलग हो गया। ये तीनों आदमी उसके अन्दर घुसे और उस पत्थर के टुकड़ें को उसी तरह बन्द कर आगे बढ़े। अब ये तीनों आदमी एक सुरंग में थे जो बहुत ही तंग और लम्बी थी। भैरोंसिंह ने अपने बटुए में से एक मोमबत्ती निकाल कर जलाई और चारों तरफ अच्छी तरह निगाह करने के बाद आगे बढ़। थोड़ी ही देर में यह सुरंग खत्म हो गई और ये तीनों एक भारी दालान में पहुँचे। इस दालान की छत बहुत ऊँची थी और इसमें कड़ियों के सहारे कई जंजीरें लटक रही थीं। इस दालान के दूसरी तरफ एक और दरवाजा था जिसमें से होकर ये तीनों एक कोठरी में पहुँचे। इस कोठरी के नीचे एक तहखाना था जिसमें उतरने के लिए संगमर्मर की सीढ़ियां बनी हुई थीं। ये तीनों नीचे उतर गये। अब एक बड़े भारी घण्टे के बजने की आवाज इन तीनों के कानों में पड़ी जिसे सुन कर ये कुछ देर के लिए रुक गये। मालूम हुआ कि इस तहखाने वाली कोठरी की बगल में कोई और मकान है जिसमें घण्टा बज रहा है। इन तीनों को वहाँ और भी कई आदमियों के मौजूद होने का गुमान हुआ।