पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 3.djvu/१३४

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पड़ी। रास्ते में तारा ने तिलिस्मी नेजे और खंजर का पूरा-पूरा हाल किशोरी और कामिनी को समझाया।

तहखाने में पहुँचकर सुरंग का दूसरा दरवाजा बन्द किया गया और फिर ऊपर पहुँच कर तारा ने तहखाने का दरवाजा भी बन्द करके ताला लगा दिया। है।

इधर तालाब का जल तेजी के साथ सूख रहा था क्योंकि तालाब के ऊपरी हिस्से में लम्बाई-चौड़ाई ज्यादा होने के कारण जल भी ज्यादा अँटता है इसी तरह निचले हिस्से में लम्बाई-चौड़ाई कम होने के कारण जल कम रहता है, इसीलिए बनिस्बत ऊपरी हिस्से के तालाब के निचले हिस्से का जल क्रमशः तेजी के साथ कम होता गया, यहाँ तक कि जब तारा सुरंग और तहखाने से निकल कर मकान की छत पर पहुंची तो उस ने तालाब को सुखा हुआ पाया। मकान के चारों तरफ घूमने वाले लोहे के चक्र तेजी के साथ घूम रहे थे और दुश्मन लोग यह सोचकर कि उन चक्रों की बदौलत मकान तक पहुँचना बहुत कठिन बल्कि असम्भव है उन चक्रों को ताज्जुब के साथ देख और उनको रोकने की तरकीब सोच रहे थे। इधर किशोरी, कामिनी और तारा भी उनकी इस अवस्था को मकान की छत पर से दीवार के उन छेदों की राह देख रही थीं जो दुश्मनों पर तोप के गोले बरसाने के लिए बने हुए थे।

इस समय रात दो घण्टे से ज्यादा जा चुकी थी मगर पहर ही भर तक दर्शन देकर अस्त हो जाने वाले चन्द्रमा की रोशनी दुश्मनों की किसी कार्रवाई को अंधेरे के पर्दे में छिपी रहने नहीं देती थी।

दुश्मनों ने जब देखा कि चक्रों के सबब से मकान तक पहुँचना असम्भव है तो उन्होंने उद्योग का एक मजेदार ढंग निकला जिसे देख तारा, किशोरी और कामिनी के दिल में खौफ पैदा हुआ, अर्थात् दुश्मनों ने तालाब को मिट्टी से पाटना शुरू किया। बेशक यह तरकीब बहुत ही अच्छी थी क्योंकि तालाब पट जाने पर उन चक्रों का घूमना न घमना बराबर था और आश्चर्य नहीं कि मिट्टी के अन्दर दब जाने के कारण वे रुक भी जाते, मगर इस काम के लिए दुश्मनों को मामूली से बहुत ज्यादा समय नष्ट करना पड़ा क्योंकि उन लोगों के पास जमीन खोदने के लिए फावड़ा या कुदाली की किस्म का कोई औजार न था, खञ्जर, तलवार और नेजों ही से वे लोग जो कुछ कर सकते थे, करने लगे।

दुश्मनों के इस उद्योग को देखकर तारा का कलेजा दहल गया और उसने अफसोस के साथ किशोरी की तरफ देख के कहा

तारा-अहो अब इस उद्योग का क्या जवाब दिया जाय?

किशोरी–यद्यपि वे लोग एक दिन में तालाब नहीं पाट सकते मगर हम लोगों के बचाव के लिए अब कोई तरकीब सोचनी चाहिए क्योंकि तालाब पट जाने पर ये चारों चक्र जमीन के अन्दर हो जायेंगे और उस समय इस मकान में दुश्मनों का घुस आना कुछ कठिन न होगा।

कामिनी-उस सुरंग की राह भाग जाने के सिवाय हम लोग और कुछ भी नहीं कर सकेंगे।