पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 3.djvu/१३७

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निकल चलना चाहिए. शायद उधर का रास्ता अभी बन्द न हुआ हो।

तारा, किशोरी और कामिनी तेजी के साथ सुरंग के दूसरे मुहाने की तरफ रवाना हुई और थोड़ी ही देर में वहाँ जा पहुँची। इस सुरंग में मकान की तरफ जिस तरह की सीढ़ियां बनी हुई थीं, उसी तरह की सीढ़ियां सुरंग के दूसरी तरफ भी थीं। जब तारा ने दरवाजे की कुण्डी खोली और उसे धक्का देकर खोलना चाहा तो दरवाजा न खुला, उस समय तारा हाय करके बैठ गई और बोली-'बहिन, बस जो कुछ हम लोगों को शक था वही हुआ। इस समय दुश्मनों की बन पड़ी और हम लोग बेमौत मारे गये। यह दरवाजा भीतर की तरफ हटता होता तो खुल जाता और हमें मालूम हो जाता कि आगे रास्ता किस चीज से बन्द किया गया है, ईंट-पत्थर और चने से या खाली मिट्टी से, और हम लोग इस तिलिस्मी नेजे से उसमें रास्ता बनाकर निकल जाने का उद्योग करते क्योंकि यह नेजा हरएक चीज में घुस जाने की ताकत रखता है, मगर अफसोस तो यह है कि यह लोहे का मजबूत दरवाजा खुलने के समय बाहर की तरफ खुलता है। यह भी कारीगर की भूल है। भूलों का मजा समय पड़ने पर ही मालूम होता है, अब मुझे मालूम हुआ कि मकान बनाने वाले को दरवाजे की अवस्था पर विशेष ध्यान देना चाहिए, कोई दरवाजा ऐसा न बनाना चाहिए जो खुलते समय बाहर की तरफ खुलता हो, जिसे बाहर वाला मामूली तौर पर मिट्टी का ढेर लगाकर भी बन्द कर सकता है। हाय, अब मैं क्या करूं? मुझे अपने मरने का तो कुछ भी रंज नहीं है अगर रंज है तो केवल इतना ही कि तुम दोनों को कमलिनी ने हिफाजत से रखने के लिए के लिए मेरे पास भेजा और मेरी बदौलत तुम्हें यह दिन देखना नसीब हुआ!"

मामूली तौर पर जैसा कि अक्सर मौका पड़ने पर लोग कह दिया करते हैं, इस समय किशोरी और कामिनी यह बात तारा को कह सकती थीं कि 'बहिन, हम लोग तो तुम्हें मना करते थे कि सुरंग की राह से बाहर मत जाओ, मगर तुमने न माना, अगर मान जाती तो यह दुःख भोगना क्यों नसीब होता?'

मगर नहीं, बेचारी किशोरी और कामिनी बड़ी ही नेकदिल थीं, वे जानती थीं कि जो होना था सो तो हो चुका, अब ऐसी बातें कहकर तारा का दिल दुखाना नादानी है और इससे कोई फायदा नहीं, तारा ने जो कुछ किया उसे भला ही समझ के किया। मगर जब ईश्वर की भी ऐसी मर्जी हो तो क्या किया जाय।

इस सुरंग के दोनों तरफ की दीवार बहुत ही मजबूत थी और उस पर फौलादी मोटी चादर चढ़ी हुई थी। यद्यपि तिलिस्मी नेजा उस फौलादी मोटी चादर में भी घुस सकता था, मगर इसमें कोई फायदा न था। तिलिस्मी नेजा ऐसे स्थान से सुरंग खोदकर रास्ता बनाने का काम नहीं दे सकता था, तिस पर भी तारा ने उद्योग में कोई बात उठा न रखी, मगर नतीजा कुछ भी न निकला।