पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 3.djvu/१९७

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बलभद्रसिंह-भूतनाथ, मैं अफसोस करता हूँ कि तुम्हारे भेदों को कुछ दिन तक और छिपा रखने का मौका मुझे न मिला!

देवीसिंह-जिस गठरी में तारा की किस्मत बन्द थी और जिसे तुम अपने सामने देख रहे हो, वह वास्तव में तेजसिंह के कब्जे में आ गई थी।

बलभद्रसिंह-जिस नकाबपोश ने तुम्हारे सामने मुझे पराजित किया था, वह तेजसिंह थे और इस समय तुम्हारी बगल में खड़े हैं। हैं-हैं! देखो, सम्हालो! पागल मत बनो।

भूतनाथ-(लड़खड़ाई हुई आवाज से) ओह! उस औरत को धोखा हुआ! उसने नकाबपोश को वास्तव में नहीं पहचाना!

भूतनाथ पागलों की तरह हाथ-मुँह फैला और आँखें फाड़-फाड़कर चारों तरफ देखने लगा और फिर चक्कर खाकर जमीन पर गिरने के साथ ही बेहोश हो गया।

तेजसिंह-बुरे कामों का यही नतीजा निकलता है।

देवीसिंह--इससे कोई पूछे कि ऐसे-ऐसे खोटे कर्म करके दुनिया में तूने क्या मजा पाया? मैं समझता हूँ, अब या तो यह अपनी जान दे देगा या यहाँ से भाग जाना पसन्द करेगा।

बलभद्रसिंह-हाँ, यदि इसकी एक बहुत ही प्यारी चीज मेरे कब्जे में न होती तो बेशक यह अपनी जान दे देता या भाग ही जाता। मगर अब यह ऐसा नहीं कर सकता है।

कमलिनी-वह कौन-सी चीज है?

बलभद्रसिंह-जल्दी न करो, उसका हाल भी मालूम हो जायगा।

तेजसिंह-खैर, आप यह तो बताइए कि इसके साथ क्या सलूक करना चाहिए?

बलभद्रसिंह-कुछ नहीं, इसे इसी तरह उठाकर तालाब के बाहर रख आओ और छोड़ दो, जहाँ जी चाहे चला जाय।

कमलिनी-(तेजसिंह से) क्या आपको मालूम है कि इसका लड़का नानक आज कल कहाँ है?

तेजसिंह-मुझे नहीं मालूम।

किशोरी-इसका केवल एक ही लड़ का है?

तेजसिंह-क्या तुम्हें अभी तक किसी ने नहीं कहा कि भूतनाथ की पहली स्त्री से एक लड़की भी है जिसका नाम कमला है और जो तुम्हारी प्यारी सखी है? हाय, मैं। अफसोस करता हूं कि इस दुष्ट का हाल सुनकर उस बेचारी को बड़ा ही दुःख होगा। मैं सच कहता हूँ कि कमला ऐसी लायक लड़की बहुत कम देखने-सुनने में आवेगी।

इतना सुनते ही भैरोंसिंह के चेहरे पर खुशी की निशानी दिखाई देने लगी जिसे। उसने बड़ी होशियारी से तुरन्त दबा दिया और किशोरी सिर नीचा करके न मालूम क्या सोचने लगी।

तेजसिंह-(बलभद्रसिंह से) अच्छा, तो यह निश्चय हो गया कि इसे तालाब के बाहर छोड़ आया जाय?

च० स०-3-12

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