पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 5.djvu/१०३

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बार में सिर धड़ से अलग कर देना चाहिए।"

भीमसेन––नहीं, इसे एकदम से मार डालना उचित न होगा, बल्कि कैद करके तिलिस्म का कुछ हाल मालूम करना लाभदायक होगा।

मायारानी––मैंने इसे कैद में रख कर हद से ज्यादा तकलीफें दी, तब तो इसने तिलिस्म का कुछ हाल कहा नहीं, अब क्या कहेगा, बस इसे मार डालना ही मुनासिव है।

इसके जवाब में उसी बरामदे पर से जिस पर से वह आदमी लुढ़क कर नीचे आया था किसी ने कहा, "तिलिस्म का हाल जानने का शौक अभी तक लगा ही है। इस बात की खबर नहीं कि अब तुम लोगों के मरने में केवल सात घण्टे की देर बाकी रह गई है।"

सभी ने चौंककर उसकी तरफ देखा और पुनः एक आदमी को उसी बरामदे में टहलता हुआ पाया मगर अब की दफ इस आदमी का चेहरा नकाब से खाली था और एक जलती हुई मोमबत्ती बायें हाथ में मौजूद थी जिससे उसका रोबीला चेहरा साफ-साफ दिखाई दे रहा था। मायारानी और उसके साथियों को यह देख कर बड़ा ताज्जुब हुआ कि यह दूसरा आदमी भी राजा गोपालसिंह ही मालूम होता था बल्कि बनिस्बत पहले आदमी के ठीक राजा गोपालसिंह मालूम होता था। इस कैफियत ने मायारानी का कलेजा हिला दिया और वह डर से काँपती हुई उसको इस तरह देखने लगी जैसे कोई व्याध जंगल में अकस्मात् आ खड़े हुए शेर की तरफ देखता हो।

सभी को अपनी तरफ ताज्जुब के साथ देखते-देखते उस आदमी ने पुनः कहा, "न तो वह राजा गोपाल सिंह है और न उसकी जुबानी तिलिस्म का कोई भेद ही तुम लोगों को मालूम हो सकता है। अरे ओ कम्बख्त मायारानी, तू तो वर्षों तक मेरे साथ रह चुकी है, क्या तू भी मुझे नहीं पहचानती। राजा गोपाल सिंह मैं हूँ या वह है? तू उसके नाटे कद को नहीं देखती? अगर वह राजा गोपाल सिंह होता तो क्या उस तिलिस्मी तमंचे की एक गोली खाकर गिर पड़ता! भला मुझ पर भी एक नहीं पचास गोली चला, देख, क्या असर होता है।"

नये गोपालसिंह की इस बात ने मायारानी की रही-सही ताकत भी हवा कर दी और अब उसे अपने सामने मौत की सूरत दिखाई देने लगी। यद्यपि उसने इस गोपालसिंह पर भी तिलिस्मी तमंचा चलाने का इरादा किया था, मगर अब उसके हाथों में इतनी ताकत न रही कि तमंचे में गोली डालकर चला सके। इसी तरह उसके साथी भी घबड़ाकर इस नये राजा गोपालसिंह की तरफ देखने और अपने मन में सोचने लगे, "व्यर्थ इस मायारानी के फेर में पड़ कर यहाँ आए।"

इस नये गोपालसिंह ने पुनः पुकारकर मायारानी ने कहा, "हाँ-हाँ, सोचती क्या है, तिलिस्मी तमंचा चला और तमाशा देख, या कह तो मैं स्वयं तेरे पास चला आऊँ! और भीमरोन वगैरह, तुम लोग क्यों इसके फेर में पड़कर अपनी-अपनी जान दे रहे हो! क्या तुम समझ रहे हो कि यह तिलिस्म की रानी हो जायेगी और तुम्हें अपना हिस्सेदार बना लेगी! कदापि नहीं, अब इसकी जान किसी तरह नहीं बच सकती और मैं अभी नीचे आकर तुम सभी का काम तमाम करता हूँ। हाँ, अगर तुम लोग अपनी जान बचाना